भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार को कुछ संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) के मुख्य कार्याधिकारियों के साथ बैठक कर इस सेक्टर के विभिन्न मसलों और कारोबार पर चर्चा करेगा। उम्मीद की जा रही है कि ऋण पुनर्गठन कंपनियों की मांग पर कुछ स्पस्टीकरण भी सामने आएगा।
एआरसी के सामने आ रही समस्याओं में एक मसला बैंक उधारी का है। इस तरह की फंडिंग को लेकर कोई नियामकीय प्रतिबंध नहीं है, लेकिन एआरसी के सूत्रों ने कहा कि बैंक प्रायस इस तरह की इकाइयों को धन मुहैया कराने से इनकार कर देते हैं।
एक एआरसी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘अगर नियामक यह स्पष्ट कर देता है कि वाणिज्यिक बैंकों को एआरसी को कर्ज देने की अनुमति है तो इससे मदद मिलेगी।’ बैंक से धन जुटाने के अलावा एआरसी नॉन कन्वर्टेबल डिबेंचरों के माध्यम से बाजार से धन जुटाती हैं।
एआरसी का एक अन्य मसला निपटान की जटिल प्रक्रिया है। मौजूदा मानकों के मुताबिक एआरसी के हर समाधान प्रस्ताव को एख स्वतंत्र परामर्श समिति के पास से गुजरना होता है, जिसमें वित्त मंत्रालय, तकनीकी व कानूनी क्षेत्र के 3 अधिकारी शामिल होते हैं। यह छोटी सी राशि के लिए भी करना होता है। इसके अलावा समाधान प्रस्तावों पर बोर्ड के स्तर पर भी मंजूरी लेनी होती है।
एक एआरसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘बैंकों या एनबीएफसी सहित विनियमन के दायरे में आने वाली किसी अन्य इकाई के लिए एक समाधान नीति है, जिसमें उसे शक्तियां होती हैं। शाखा और क्षेत्रीय कार्यालय के स्तर पर भी निपटारा हो जाता है। एआरसी के मामले में ऐसा नहीं है।’
विनियमन और पर्यवेक्षण से जुड़े रिजर्व बैंक के दोनों डिप्टी गवर्नर कार्यकारी निदेशकों के साथ एआरसी के सीईओ के साथ बातचीत करेंगे। एआरसी के अधिकारियों ने कहा कि खुदरा निवेशकों की अधिक भागीदारी अन्य मसला है, जिसे बैठक में उठाया जा सकता है।
First Published – May 15, 2024 | 9:55 PM IST