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Amalaki Ekadashi 2024: कब है आमलकी एकादशी, जानिए तिथि, पूजा विधि, महत्व व पौराणिक कथा

bareillyonline.com by bareillyonline.com
15 March 2024
in बरेली न्यूज़
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Amalaki Ekadashi 2024: कब है आमलकी एकादशी, जानिए तिथि, पूजा विधि, महत्व व पौराणिक कथा
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Amalaki Ekadashi 2024: पद्म पुराण के अनुसार, आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आंवले के वृक्ष में देवी लक्ष्मी और श्रीहरि का वास होता है।

By Kushagra Valuskar

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Publish Date: Fri, 15 Mar 2024 09:22 PM (IST)

Updated Date: Fri, 15 Mar 2024 09:22 PM (IST)

Amalaki Ekadashi 2024: कब है आमलकी एकादशी, जानिए तिथि, पूजा विधि, महत्व व पौराणिक कथा
Amalaki Ekadashi 2024

धर्म डेस्क, इंदौर। Amalaki Ekadashi 2024 Date: पंचांग के अनुसार, इस साल आमलकी एकादशी 20 मार्च (बुधवार) को मनाई जाएगी। आमलकी का अर्थ आंवला है। जिसे हिंदू धर्म और आयुर्वेद में श्रेष्ठ माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आंवले के वृक्ष में देवी लक्ष्मी और श्रीहरि का वास होता है। एकादशी के दिन आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन और आंवले का दान करना चाहिए।

आमलकी एकादशी व्रत पूजा विधि

सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। संकल्प लेने के बाद स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें। आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत से पूजन कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। अगले दिन स्नान कर स्नान कर पूजन के बाद कलश, वस्त्र और आंवला का दान करना चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए।

आमलकी एकादशी व्रत का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत रखने से तीर्थ दर्शन के समान पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन करना लाभकारी होता है।

आमलकी एकादशी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा था। उसके राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। वहीं, राजा की आमलकी एकादशी के प्रति श्रद्धा थीं। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गए थे। तब कुछ डाकुओं ने राजा को चारों तरफ से घेरकर हमला कर दिया। राजा ने जो भी शस्त्र चलाए वो फूल में बदल गए।

डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा चित्रसेन धरती पर गिर गए। तभी उनके शरीर से दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त डाकुओं को मारकर गायब हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो उसने डाकुओं को मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन दुष्टों को किसने मारा। तभी आकाशवाणी हुई कि यह सब आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्ण शक्ति ने इनका सर्वनाश किया। यह सुनकर राजा चित्रसेन काफी प्रसन्न हुए और वापस लौटकर राज्य में एकादशी का महत्व सबको बतलाया।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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    माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन स्नातक कुशाग्र वालुस्कर नईदुनिया डिजिटल में सीनियर सब एडिटर के पद पर हैं। कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में माह …

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