स्टडी को अंतर्राष्ट्रीय जर्नल Neurotoxicology Association में प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार, अगर व्यक्ति बार-बार और लगातार बहुत अधिक वायु प्रदूषण के संपर्क में आता है तो यह शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन पैदा कर सकता है। साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा देता है जिससे शरीर की ऊपरी वायुतंत्र प्रणाली नींद के दौरान सही ढंग से काम नहीं कर पाती है। शोधकर्ता कह रहे हैं कि इस तरह के पैथोफिजियोलॉजिकल बदलाव स्वांस संबंधी समस्याओं के विकास और गंभीरता में योगदान देते हैं।
OSA के संदर्भ में बात की जाए तो वायु प्रदूषण ऊपरी वायुमार्ग की सूजन को बढ़ाने और प्रणाली में विकार पैदा करने का काम करता है। इसलिए इसकी वजह से सोते समय वायुमार्ग के सही ढंग से काम ने करने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एयर पॉल्यूटेंट का प्रभाव उनके प्रकार, उनके साथ एक्सपोजर, और व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करता है।
स्टडी के लिए एक्सपर्ट्स ने एक सिस्टेमेटिक रिव्यू किया और 12 अध्य्यनों को एक साथ मिलाकर देखा। फिर इनके डेटा का विश्लेषण किया और वायु प्रदूषण तथा OSA के रिस्क और गंभीरता के संबंध को समझने की कोशिश की। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषक तत्व जैसे NO2 आदि OSA के रिस्क को और ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं। NO2 एक ऐसे वायु प्रदूषक तत्वों के समूह से संबंध रखता है जो गैसीय तत्व है। यह रोड ट्रैफिक और जीवाश्म ईंधन के जलने से बनता है। स्टडी निष्कर्ष निकालती है कि हेल्थकेयर प्रोवाइडर OSA के रिस्क के संबंध में वातावरणीय कारकों को भी तवज्जो दें।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।