• Whatsapp
  • Phone
  • Bareilly News
  • Bareilly Business
  • Register
  • Login
  • Add Post
ADVERTISEMENT
Home बरेली न्यूज़

छोटे खेतों के लिए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, एक स्थायी समाधान और मिट्टी के स्वास्थ्य का बेहतरीन उपाय, आइए जानें Khetivyapar पर

bareillyonline.com by bareillyonline.com
12 April 2024
in बरेली न्यूज़
4 0
0
छोटे खेतों के लिए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, एक स्थायी समाधान और मिट्टी के स्वास्थ्य का बेहतरीन उपाय, आइए जानें Khetivyapar पर
6
SHARES
35
VIEWS
WhatsappFacebookTwitterThreads

[ad_1]

छोटे खेतों के लिए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, एक स्थायी समाधान और मिट्टी के स्वास्थ्य का बेहतरीन उपाय, आइए जानें Khetivyapar पर

छोटे खेतों के लिए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, एक स्थायी समाधान और मिट्टी के स्वास्थ्य का बेहतरीन उपाय

अपना शहर Bareilly Online

बरेली में सेटेलाइट फ्लाईओवर का निर्माण: पीलीभीत बाइपास पर जाम से मिलेगी राहत

बिजली केबिल जोड़ने से मना करने पर नवाबगंज में लोगों ने बिजलीघर में ताला जड़कर हंगामा किया।

बरेली में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नाथ परंपरा पर एक भव्य डॉक्यूमेंट्री बनाने की योजना है।

By khetivyapar

पोस्टेड: 12 Apr, 2024 12:00 AM IST Updated Fri, 12 Apr 2024 07:27 AM IST

जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ कृषि के प्रति वैश्विक चिंताएं बढ़ने के साथ मिट्टी में सुधार के लिए बायोचार का उपयोग लोकप्रिय हो रहा है। बायोचार मिट्टी को पोषक तत्वों से समृद्ध करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को अलग करता है, जिससे यह कृषि में शुद्ध-शून्य उत्सर्जन और मिट्टी के क्षरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईसीआरआईएसएटी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में छोटे किसानों के लिए किफायती बायोचार उत्पादन भट्टी का डिजाइन तैयार किया है। यह खेत-स्तरीय स्थायित्व को बढ़ावा देगा। शोध पत्र उत्पादित बायोचार के गुणों का भी अध्ययन करता है ताकि इसकी उपयोगिता को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

आईसीआरआईएसएटी महानिदेशक डॉ. जैकलीन ह्यूजेस ने कहा कि “बायोचार उत्पादन न केवल फसल अवशेषों के प्रबंधन का समाधान करता है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य, अपशिष्ट जल उपचार और कार्बन खेती में इसके उपयोग से स्वच्छ और हरित भविष्य की संभावनाएं खुलती हैं। भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत में सालाना 500 मिलियन टन से अधिक कृषि अवशेष पैदा होते हैं, जिनमें से लगभग एक चौथाई को जला दिया जाता है (2017-2018)। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है। इन अवशेषों को बायोचार में बदलना एक व्यवहार्य विकल्प है जो कचरा प्रबंधन और किसानों के लिए अतिरिक्त आय या लागत बचत प्रदान करता है।

आईसीआरआईएसएटी के निदेशक, ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम – रेजिलिएंट फार्म एंड फूड सिस्टम्स डॉ. एम एल जाट विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि “यह कम लागत वाली, विकेन्द्रीकृत बायोचार उत्पादन तकनीक किसानों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए फसल अवशेषों के मुद्दों को स्थायी रूप से हल करने का एक किफायती और व्यवहार्य विकल्प होगी। यह स्वैच्छिक कार्बन बाजारों और ‘पर्यावरण कार्यक्रम के लिए मिशन लाइफ-लाइफस्टाइल’ जैसी पहलों के लिए सरकारी प्रोत्साहनों के साथ भी मेल खाती है। अध्ययन में, दो प्रकार के फीडस्टॉक्स- अरहर और मक्का के डंठल का उपयोग करके ICRISAT-डिज़ाइन किए गए पायरोलिसिस भट्टी और लैब-स्केल मफल भट्टी की तुलना की गई। अध्ययन में पाया गया कि 400 डिग्री सेल्सियस पर पोर्टेबल भट्टी में बनाया गया बायोचार मफल भट्टी में उत्पादित बायोचार के बराबर गुणवत्ता वाला होता है। 

सार:

ICRISAT वैज्ञानिकों ने छोटे किसानों के लिए एक किफायती, कृषि-स्तरीय संचालित बायोचार उत्पादन भट्टी विकसित की है। यह तकनीक फसल अवशेषों को बायोचार में बदलती है, जो मिट्टी की उर्वरता और कार्बन अनुक्रमण में सुधार करता है। अध्ययन में पाया गया कि 400 डिग्री सेल्सियस पर पोर्टेबल भट्ठी में बनाया गया बायोचार मफल भट्ठी में उत्पादित बायोचार के बराबर गुणवत्ता प्रदर्शित करता है। ICRISAT इस तकनीक को विकसित करने और किसानों को अपनाने में मदद करने के लिए काम कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

भारत में सालाना 500 मिलियन टन से अधिक कृषि अवशेष पैदा होते हैं, जिनमें से लगभग एक चौथाई को जला दिया जाता है। बायोचार में बदलने से यह कचरा कम होता है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। ICRISAT-डिज़ाइन की गई भट्टी किसानों को कम लागत पर बायोचार का उत्पादन करने में सक्षम बनाती है। अध्ययन मिट्टी में बायोचार के प्रभावों पर अधिक शोध की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

अध्ययन का महत्व: यह अध्ययन छोटे किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी योगदान दे सकता है। 

क्‍या होगा फायदा: ICRISAT विभिन्न फसल अवशेषों और फसल प्रणालियों के लिए बायोचार उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए काम करेगा। यह किसानों को इस तकनीक को अपनाने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी विकसित करेगा। यह अध्ययन कृषि अपशिष्ट प्रबंधन और टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। ICRISAT की यह पहल किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद होगी।

ज्‍यादा जानकारी पाएं ICRISAT वेबसाइट पर : https://www.icrisat.org

[ad_2]

Source link

Categories

  • बरेली न्यूज़
  • बरेली बिज़नेस
  • बरेली ब्लॉग
edit post

बरेली में सेटेलाइट फ्लाईओवर का निर्माण: पीलीभीत बाइपास पर जाम से मिलेगी राहत

8 August 2025
edit post

बिजली केबिल जोड़ने से मना करने पर नवाबगंज में लोगों ने बिजलीघर में ताला जड़कर हंगामा किया।

8 August 2025
edit post

बरेली में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नाथ परंपरा पर एक भव्य डॉक्यूमेंट्री बनाने की योजना है।

8 August 2025

UPLOAD

LOGIN

REGISTER

HELPLINE

No Result
View All Result
  • बरेली न्यूज़
  • बरेली ब्लॉग
  • बरेली बिज़नेस
  • Contact

© 2025 Bareilly Online bareillyonline.