अधिकतर लोग मधुमेह से बचने के लिए दवाओं पर ही पूरी तरह से निर्भर करते हैं। मगर ऐसे में शारीरिक सक्रियता को बनाए रखना भी ज़रूरी है। शरीर को फिट और एक्टिव रखने के लिए इन आसान एक्सरसाइज़ को रूटीन में करें शामिल
अनहेल्दी डाइट, सिडेंटरी लाइफस्टाइल और अनुवाशिंकता समेत कई कारणों से शरीर में डायबिटीज़ का खतरा (Risks of diabetes) बढ़ने लगता है। इंसुलिन न बन पाने के कारण ब्लड में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं। हांलाकि अधिकतर लोग मधुमेह से बचने के लिए दवाओं पर ही पूरी तरह से निर्भर करते हैं। मगर ऐसे में शारीरिक सक्रियता को बनाए रखना भी ज़रूरी है। शरीर को फिट और एक्टिव रखने के लिए इन आसान एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल करके इस शारीरिक स्थिति को रेगुलेट किया जा सकता है (How to stay healthy in diabetes)।
जर्नल ऑफ डायबिटीज़ के अनुसार वे लोग जो सिडेंटरी लाइफस्टाल (How sedentary lifestyle increase diabetes) को अपनाते हैं यानि शारीरिक रूप से सक्रिय नही रहते हैं। उनमें डायबिटीज़ का खतरा तेज़ी से बढ़ने लगता है। ग्लूकोज का छोटा हिस्सा फैट सेल्स यानि वसा कोशिकाओं में मौजूद रहता है। इन सेल्स में इंसुलिन का मुख्य कार्य ट्राइग्लिसराइड्स के हाइड्रोलिसिस को बाधित करके फैटी एसिड (fatty acid) रिलीज को कम करना है।
डायबिटीज़ का शरीर पर होने वाला प्रभाव (Diabetes impact on health)
ऐसे में शरीर का एक्टिव न रखने से फैट्स बर्निग फंक्शन स्लो होने लगता है, जिसका असर मेटाबॉलिज्म पर दिखता है। हार्वर्ड हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार वे डायबिटिक महिलाएं, जो सप्ताह में 4 घंटे एक्सरसाइज़ करती हैं, उनमें हृदय रोगों का खतरा (Diabetes increase the risk of heart disease) 40 फीसदी तक कम हो जाता है।
इस बारे में आर्थोपेडिक सर्जन डॉ मनन वोरा बताते हैं कि गतिहीन जीवनशैली यानि सिडेंटरी लाइफस्टाइल (Sedentary lifestyle) के चलते टाइप 2 डायबिटीज़ (type 2 diabetes) का जोखिम बढ़ने लगता है। व्यायाम की मदद से ब्लड शुगर को नियंत्रित करके इंसुलिन रेसिस्टेंस में सुधार किया जा सकता है।
मगर कोई भी एक्सरसाइज़ करने से पहले अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करना आवश्यक है। डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों को रोज़ाना 30 मिनट वॉक या व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। वे लोग जो प्रीडायबीटिक है, उन्हें शारीरिक गतिशीलता को बनाए रखना चाहिए।
इन एक्सरसाइज़ से डायबिटीज़ को करे नियंत्रित
1. दिन में दो बार वॉक के लिए जाएं
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार डायबिटीज के दौरान शारीरिक सक्रियता बनाए रखने से इंसुलिन हार्मोन के रिलीज़ में मदद मिलती है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोका जा सकता है। ऐसे में दिनभर में दो बार सुबह और शाम 15 मिनट की वॉक करने से शरीर में स्टेमिना बिल्ड होने लगता है।
2. साइकलिंग है फायदेमंद
टाइप 2 डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों को जोड़ों के दर्द की समस्या बनी रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इस समस्या से ग्रस्त आधे से ज्याद लोगों में अर्थराइटिस का जोखिम बना रहता है। ऐसे में बॉडी मूवमेंट आवश्यक है। इसके लिए आसपास कहीं भी जाने के लिए स्कूटी या कार की जगह साइकल का इस्तेमाल करें। इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन और स्टिफनेस को दूर करने में मदद मिलती है।
3. योगाभ्यास करें
योग की मदद से न केवल शरीर एक्टिव रहता है बल्कि पाचन में सुधार होता है और इंसुलिन रिसेप्टर्स बढ़ने लगते हैं। नियमित योगाभ्यास से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसके लिए अपने रूटीन में पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, बालासन और सुप्त मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करें।
इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाला दर्द कम होने लगता है। दरअसल, ब्लड का सर्कुलेशन (Blood circulation) बढ़ने से ऐंठन को कम किया जा सकता है। शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए प्राणायाम की मदद लें।
4. एरोबिक्स करें
अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन के अनुसार एरोबिक्स एक्सरसाइज़ की मदद से शरीर को एक्टिव रखना फायदेमंद है। इसके लिए स्वीमिंग, डांस और स्ट्रेंथ एक्सरसाइज़ (strength exercise) बेहद कारगर साबित होती हैं। इसके अलावा थेराबैंडस नेकपेन, लेगपेन, आर्म पेन और शरीर को एक्टिव बनाए रखने में मदद करता है।