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billi mental disorder schizophrenia ka karan ban sakti hai. बिल्ली मेंटल डिसऑर्डर सिज़ोफ्रेनिया का कारण बन सकती है।

bareillyonline.com by bareillyonline.com
16 April 2024
in बरेली न्यूज़
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billi mental disorder schizophrenia ka karan ban sakti hai. बिल्ली मेंटल डिसऑर्डर सिज़ोफ्रेनिया का कारण बन सकती है।
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हमारे पालतू पशु हमें बहुत प्यारे होते हैं। इनके साथ खेलना हमें तनाव से मुक्त कर सकता है। मगर इन्हें घर में रखने के साथ कुछ सेफ्टी टिप्स का पालन करना बहुत जरूरी है।

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सदियों से मनुष्य पालतू पशुओं को अपने साथ रखता आया है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। डॉग और कैट व्यायाम करने, बाहर घूमने और मेलजोल बढ़ाने के अवसर बढ़ा सकते हैं। शोध बताते हैं कि नियमित रूप से पालतू पशुओं के साथ टहलने या खेलने से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और ट्राइग्लिसराइड लेवल कंट्रोल रहता है। पालतू पशु हमारा हर वक्त साथ देते हैं। इससे अकेलेपन और अवसाद को मैनेज करने में भी मदद मिल सकती है। एक नए आस्ट्रेलियाई शोध में पाया गया है कि बिल्ली एक मनोरोग सिज़ोफ्रेनिया (cat and Schizophrenia connection) की वजह बन सकती है। आइये जानते हैं क्या है शोध? विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं?

क्या कहती है स्टडी (cat and mental disorder connection)

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि बिल्लियों और मेंटल डिसऑर्डर के बीच संबंध है। इस विश्लेषण में पाया गया कि बिल्लियों के संपर्क में आने वाले लोगों में सिज़ोफ्रेनिया विकसित होने की संभावना लगभग दोगुनी होती है।
असल में बिल्लियां विकास का कारण नहीं बनती हैं। बिल्ली में टोक्सोप्लाज्मा गोंडी पैरासाइट मौजूद होता है। जिसे बिल्लियां मनुष्यों में ट्रांसमिट कर सकती हैं। पैरासाइट टोक्सोप्लाज्मोसिस संक्रमण का कारण बनता है। यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से हो सकता है। वहां पाए जाने वाले पैरासाइट एग भोजन या पानी के माध्यम से बिल्लियों के शरीर तक पहुंच सकते हैं। बिल्लियों के पूप में मौजूद यह पैरासाइट मनुष्यों तक पहुंच सकता है।

क्या है परजीवियों और सिज़ोफ्रेनिया का संबंध (parasite T. Gondi and Schizophrenia) 

कई गंभीर मेंटल डिसऑर्डर में से एक है सिज़ोफ्रेनिया। इसके कारण हैलूसिनेशन, अव्यवस्थित सोच, कल्पनाजगत में विचरना, विचित्र व्यवहार करना आदि जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह मेंटल डिसऑर्डर आम तौर पर तनाव के साथ जुड़ा होता है। या आनुवंशिक होता है।
कुछ मामलों में बीमारी या परजीवी भी इसका कारण बन सकते हैं। सिज़ोफ्रेनिया आबादी के केवल 1% को प्रभावित करता है। कुछ लोग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। लेकिन कभी भी किसी भी लक्षण को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त तनाव के संपर्क में नहीं आते हैं। बिल्लियां इसका कारण नहीं बनती हैं, बल्कि उनमें मौजूद परजीवी वजह बन जाते हैं।

billi me maujood T. Gondi schizophrenia ka karan banta hai.
सिज़ोफ्रेनिया  के कुछ मामलों में  बिल्ली में मौजूद परजीवी इसका कारण बनते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

ब्रेन फंक्शन को प्रभावित कर सकता है परजीवी (parasite impact on brain function)

वैज्ञानिक मानते हैं कि टी. गोंडी भय और निर्णय लेने की प्रक्रिया वाले क्षेत्रों में सिस्ट बना देते हैं। इससे ब्रेन की कार्यप्रणाली बदल जाती है। सिस्ट डोपामाइन लेवल को बढ़ाकर व्यवहार को भी प्रभावित कर सकते हैं। टी. गोंडी मानव न्यूरॉन्स के अंदर सिस्ट भी बनाता है।
एचआईवी या अन्य कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में सिस्ट बढ़ सकते हैं, जिससे घातक ब्रेन इन्फ्लेमेशन, डिमेंशिया और मनोविकृति हो सकती है। यह सिज़ोफ्रेनिया और अन्य मानसिक बीमारी विकसित होने की संभावना बढ़ा सकता है। मस्तिष्क को सीधे संक्रमित किए बिना भी क्रोनिक टी. गोंडी संक्रमण सूजन को बढ़ा सकता है। सूजन को सिज़ोफ्रेनिया, ऑटिज्म और अल्जाइमर रोग जैसे मानसिक विकारों से जोड़ा गया है।

कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को होता है ज्यादा जोखिम (weak immune system)

स्टडी में यह बात भी सामने आई कि टोक्सोप्लाज्मोसिस केवल गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि यह परजीवी मस्तिष्क में बना रहता है, तो सिज़ोफ्रेनिया के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को जिस तरह अन्य रोगों का खतरा अधिक रहता है। उसी तरह यह परजीवी ऐसे लोगों को अधिक प्रभावित करता है।

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schizophrenia stress ke karan ho sakta hai.
बिल्ली में मौजूद परजीवी टोक्सोप्लाज्मोसिस कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

अगर आपके घर में बिल्ली है, तो सुरक्षा के लिए रखें इन बातों का ध्यान (Safety tips for cat owners)

बिल्ली या पेट्स को छूने (cat and Schizophrenia connection) या उसके साथ खेलने के बाद हमेशा हाथ वॉश करें।
पालतू पशुओं को खाना खिलाने या उनका बचा हुआ खाना हटाने के बाद हाथ साफ़ करें।
पेट्स के घर या केज, टैंक, खिलौने, भोजन और पानी के बर्तन आदि को साफ़ करने-छूने के बाद भी हाथ साफ़ करना जरूरी है।
सफ़ाई या उन्हें स्नान करने के बाद खुद की सफाई कर लें। उनके पूप या एनस को छूने के बाद हाथ को साबुन से अच्छी तरह धोना सबसे अधिक मह्त्वपूर्ण है।
बिल्लियों को कच्चा या अधपका मांस न खिलाएं। कूड़े के डिब्बे को रोजाना साफ करें।

यह भी पढ़ें :- Dementia in pets : आपके पेट्स भी हो सकते हैं डिमेंशिया के शिकार, जानिए क्या हैं इसके संकेत

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