Byju’s-BCCI Settlement: अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और एडटेक स्टार्टअप Byju’s के बीच समझौते पर अस्थायी रोक लगाने के GLAS ट्रस्ट कंपनी के आवेदन को खारिज कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) ने Byju’s को BCCI के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाये के निपटाने की मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही Byju’s के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रोक दिया गया था।
Byju’s ब्रांड की मालिक थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड ने कहा है कि वह कंपनी में बदलाव लाने के लिए जारी प्रयासों को बाधित करने के GLAS के प्रयासों को खारिज करने के डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। ऐसा दावा है कि GLAS, Byju’s के विदेशी ऋणदाताओं के संघ की अगुवाई कर रही है। GLAS ने NCLAT के समक्ष भी BCCI और Byju’s के समझौते का विरोध किया था। साथ ही आरोप लगाया था कि स्टार्टअप के फाउंडर बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने सेटलमेंट के लिए जो राशि दी है, वह ‘राउंड-ट्रिपिंग’ का मामला है।
NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अमेरिकी कर्जदाता
GLAS, NCLAT के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है। सोर्सेज का कहना है कि इस केस की सुनवाई इस हफ्ते के आखिर में या अगले हफ्ते के शुरू में हो सकती है। बायजू रवींद्रन को पहले ही इस बात का अनुमान था। इसलिए उन्होंने एडवांस में 3 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि कोर्ट कोई भी फैसला लेने से पहले उनकी बात सुने। बता दें कि Byju’s ने अतीत में भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर किया था। स्टार्टअप, BCCI को 158 करोड़ रुपये का स्पॉन्सरशिप बकाया नहीं चुका सका था। अब समझौते के अनुरूप बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने 31 जुलाई को BCCI को 50 करोड़ रुपये और शुक्रवार, 2 अगस्त को 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया। बाकी 83 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिए 9 अगस्त को जमा किए जाएंगे।
क्या है इस पैसे का सोर्स
Byju’s ने कहा है कि BCCI के बकाया भुगतान को लेकर 159 करोड़ रुपये शेयर बिक्री के जरिए जुटाए गए हैं और उस पर उचित टैक्स का भुगतान किया गया है। बायजू रवींद्रन और कंपनी के अन्य पूर्व प्रमोटर्स की तरफ से पेश वकीलों ने NCLAT को सौंपे हलफनामे में भुगतान किए जाने वाले 158.9 करोड़ रुपये के स्रोत की जानकारी दी है। NCLAT के आदेश के बाद बायजू रवींद्रन के पास फिर से कंपनी का नियंत्रण आ गया है।