मां गंगा को ऋषि जाह्नु की बेटी के रूप में भी धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन कुछ उपायों को करने से सात जन्मों के पापों से छुटकारा मिल जाता है।
By Sandeep Chourey
Publish Date: Fri, 10 May 2024 12:08:30 PM (IST)
Updated Date: Fri, 10 May 2024 12:09:08 PM (IST)
HighLights
- गंगा सप्तमी हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
- धार्मिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी का दिन मां गंगा को समर्पित होता है और इस दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।
- गंगा सप्तमी को लेकर पौराणिक कथा है कि जाह्नु ऋषि ने वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि को अपने कान से देवी गंगा को मुक्त किया था।
धर्म डेस्क, इंदौर। पौराणिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी। ऐसे में यह दिन कुछ समस्याओं के समाधान के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन मां गंगा की उपासना करने से विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है।
कब मनाई जाती है गंगा सप्तमी
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी का दिन मां गंगा को समर्पित होता है और इस दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।
क्या है पौराणिक कथा
गंगा सप्तमी को लेकर पौराणिक कथा है कि जाह्नु ऋषि ने वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि को अपने कान से देवी गंगा को मुक्त किया था। यही कारण है कि गंगा सप्तमी को जाह्नु सप्तमी भी कहा जाता है। मां गंगा को ऋषि जाह्नु की बेटी के रूप में भी धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन कुछ उपायों को करने से सात जन्मों के पापों से छुटकारा मिल जाता है।
गंगा सप्तमी पूजन का मुहूर्त
सप्तमी तिथि की शुरुआत 14 मई 2024 को रात 2:50 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 15 मई 2024 को सुबह 4:19 बजे होगा।
इस उपाय से दूर होती है विवाह में आ रही बाधा
यदि आपको विवाह में देरी आ रही है तो गंगा सप्तमी पर गंगाजल में 5 बेलपत्र डालकर भगवान भोलेनाथ का विधि-विधान से जलाभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ और गंगा मैय्या दोनों प्रसन्न हो जाते हैं और जल्द विवाह का आशीर्वाद देते हैं। युवक-युवती को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
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