महिलाओं के लिए अपनी मसल्स की मजबूती पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है, जितना पुरुषों के लिए। महिलाएं अपने रिप्रोडक्टिव फेज में कई तरह के बदलावों से गुजरती हैं। इसकी वजह से हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव होते हैं, जिसका सीधा असर मसल्स हेल्थ पर पड़ता है। जानते हैं मसल्स हेल्थ को मजबूती देने वाले कुछ सप्लीमेंट्स के बारे में।
मसल्स मजबूत करना सिर्फ़ पुरुषों के लिए ही जरूरी नहीं होते हैं। महिलाओं को भी मांसपेशियों को मजबूत करने की ज़रूरत पड़ती है। यह जरूर है कि पुरुषों की तरह महिलाएं बॉडी बिल्डिंग अधिक नहीं करती हैं। मसल्स को मजबूत बनाने के लिए उन्हें भी मसल्स मास और पावर में वृद्धि करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए उन्हें भी पुरुषों की तरह मसल्स सप्लीमेंट की जरूरत पड़ सकती है। यह सच है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में औसतन कम मसल्स मास होता है। मांसपेशियों की क्षमता बनाये रखने के लिए हाई प्रोटीन डाइट और विटामिन मिनरल का पर्याप्त सेवन महिलाओं के लिए भी जरूरी है। महिलाओं के लिए सप्लीमेंट्स (Supplements for muscles health) के बारे में जानने से पहले महिला और पुरुष के शरीर के बीच अंतर को समझें।
1. टेस्टोस्टेरोन में अंतर
औसतन पुरुषों में 300-1,000 ng/dL टेस्टोस्टेरोन होता है, जबकि महिलाओं में औसतन यह स्तर 15-70 ng/dL होता है। टेस्टोस्टेरोन एनाबॉलिक हार्मोन है, जो लीन मास और ताकत बढ़ाता है। इस अंतर के कारण पुरुषों में महिलाओं की तुलना में औसतन 8.4% अधिक लीन मास होता है। लेकिन महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है। एस्ट्रोजन भी एक एनाबॉलिक हार्मोन है। प्रोटीन सिंथेसिस को उत्तेजित करने में इसकी भूमिका टेस्टोस्टेरोन जितनी बड़ी नहीं है।
2. मासिक धर्म चक्र (Menstrual periods)
मासिक धर्म के कारण पूरे महीने हार्मोन में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहता है। यह मांसपेशियों के निर्माण की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। मासिक धर्म चक्र फॉलिक्युलर और ल्यूटियल फेज में बांटे जाते हैं। फॉलिक्युलर चरण में हार्मोन सीक्रेशन कम होता है। ल्यूटियल चरण को हाई हार्मोन फेज कहा जाता है।इस दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अपने उच्चतम स्तर पर होते हैं। प्रोजेस्टेरोन लीन टिश्यू का निर्माण करना अधिक कठिन बनाता है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, वे मेनोपॉज़ में प्रवेश करती हैं। एस्ट्रोजन के घटते स्तर के साथ मांसपेशियों का द्रव्यमान और ताकत भी तेजी से कम होती जाती है। पुरुषों में ऐसा नहीं होता है।
यहां हैं महिलाओं के लिए कुछ सप्लीमेंट्स जो मसल्स हेल्थ के लिए जरूरी हो सकते हैं (Supplements for muscles health)
1 क्रिएटिन (Creatine)
क्रिएटिन अमीनो एसिड का एक संयोजन है, जो स्वाभाविक रूप से मांसपेशियों में मौजूद होता है। रेड मीट के माध्यम से स्वाभाविक रूप से इसका सेवन किया जा सकता है। महिलाओं में के शरीर में लीन टिश्यू की मात्रा कम होती है। इसलिए पुरुषों की तुलना में 70-80% कम क्रिएटिन भंडार होता है। क्रिएटिन मुख्य रूप से लीन मास और ताकत को बढ़ाता है।
मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव के बाद और रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में लगातार बदलाव होते हैं। इसलिए क्रिएटिन सप्लीमेंट बेहद मददगार हो सकता है।
2 मछली का तेल (Fish oil)
ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजनरोधी होने के लिए जाने जाते हैं। मांसपेशियों के प्रोटीन संश्लेषण में भी ये मदद करते हैं। शोध में ओमेगा-3 फैटी एसिड सप्लीमेंट लेने पर रेसिस्टेंस ट्रेनिंग करने वाली महिलाओं में मांसपेशियों में वृद्धि देखी गई। ओमेगा-3 फैटी एसिड इंसुलिन और अमीनो एसिड के प्रति मांसपेशियों के निर्माण की प्रतिक्रिया को बढ़ाते हैं। ये दोनों व्यायाम के दौरान शरीर में निकलते हैं।
3 विटामिन डी (Vitamin D)
विटामिन डी केवल हड्डियों के लिए ही आवश्यक नहीं है। विटामिन डी ऑक्सीडेटिव तनाव कम करने और माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन डी की कमी अक्सर ऑक्सीजन की खपत दरों और माइटोकॉन्ड्रियल व्यवधान में कमी से जुड़ी होती है। यह बदले में मांसपेशियों के प्रोटीन संश्लेषण मार्गों को बाधित करती है। जो महिलाएं अधिकांश समय घर या ऑफिस बिल्डिंग के अंदर बिताती हैं, उनके लिए विटामिन डी सप्लीमेंटेशन जरूरी हो जाता है।
4 आर्जिनिन (Arginine)
आर्जिनिन एसेंशियल अमीनो एसिड है, जो मसल्स के प्रोटीन सिंथेसिस, क्रिएटिन और नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेसिस और ग्रोथ हार्मोन सीक्रेशन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
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