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Kum umra mei breast cancer ka jokhim,- कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम

bareillyonline.com by bareillyonline.com
27 April 2024
in बरेली न्यूज़
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Kum umra mei breast cancer ka jokhim,- कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम
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हाल ही में आई एक रिसर्च के अनुसार 40 से 44 की उम्र में महिलाओं में पाए जाने वाले ब्रेस्ट कैंसर से अब कम उम्र की महिलाएं भी ग्रस्त हो रही है। जानते हैं ब्रेसट कैंसर के जोखिम और उससे राहत पाने के उपाय भी

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त्वचा कैंसर के बाद अगर महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं, तो वो है स्तन कैंसर यानि ब्रेस्ट कैंसर केसिज़। 40 से 44 की उम्र में महिलाओं में पाए जाने वाले इस कैंसर से अब कम उम्र की महिलाएं (Breast cancer in young women) भी ग्रस्त हो रही है। हाल ही में आई एक रिसर्च के अनुसार 40 या उससे कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तो पाए जा रहे हैं, मगर उनमें सेकण्ड प्राइमरी ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम हो रहा है। जानते हैं ब्रेसट कैंसर के जोखिम और उससे राहत पाने के उपाय भी।


वहीं अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार बीते कुछ वर्षों में स्तन कैंसर की मृत्यु दर लगातार घट रही है। दरअसल, नियमित जांच और सही उपचार कैंसर से मृत्यु का जोखिम घट रहा है। इसके अलावा अर्ली डिटेक्शन की मदद से स्तन कैंसर जैसे जानलेवा रोग को रोका जा सकता है।

क्या कहती है स्टडी

हार्वर्ड पब्लिक हेल्थ के ब्रेस्ट कैंसर पर किए गए अध्ययन में 40 वर्ष या उससे कम उम्र की 1,297 महिलाओं को शामिल किया गया है। अगस्त 2006 से जून 2015 तक इनमें स्टेज 0 से 3 तक स्तन कैंसर को डायगनोज़ किया गया है। इसमें कुल 685 महिलाएं प्राथमिक सर्जरी से होकर गुज़रती हैं, जिसमें मास्टेक्टॉमी या लम्पेक्टोमी किया गया।

10 वर्षों के गैप के बाद इनमें से 17 महिलाओं में सेकण्ड प्रोइमरी ब्रेसट कैंसर के मामले पाए गए। उसके बाद 17 रोगियों में से दो को लम्पेक्टोमी के बाद इप्सीलेटरल स्तन में कैंसर था। प्राइमरी ब्रेस्ट कैंसर डायगनोज में एसपीबीसी तक 4.2 साल का अंतर था। एसपीबीसी का जोखिम उन महिलाओं में 2.2 और 8.9 प्रतिशत था, जिन्होंने पेथेजेनिक वेरिएंट नहीं लिया था।

breast cancer self test ke bare me janana jaroori
महिलाओं का इस्ट्रोजेन एक्सपोज़र बढ़ रहा है। इस हार्मोन को कैंसर रिस्क फैक्टर माना जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

अब तक बढत़ी उम्र को माना जा रहा था बड़ा जोखिम कारक

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक जैसे जैसे उम्र बढ़ जाती है, वैसे ही ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ने लगता है। दरअसल, अधिकतर कैंसर के मामले 50 की उम्र के बाद ही पाए जाते हैं और पुरूषों क तुलना में महिलाओं में इसका रेशा अधिक है।

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ब्रेस्ट कैंसर आर्गनाइजेशन की स्टडी के मुताबिक 50 की उम्र में पहुंचकर हर 43 महिलाओं में से 1 महिला ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होती है। वहीं 60 की उम्र में हर 29 में से 1 महिला ग्रस्त होती है और 70 तक पहुंचते हुए ये रिस्क हर 26 में से 1 महिला में बढ़ने लगता है।

जानिए क्यों छोटी उम्र में भी होने लगे हैं ब्रेस्ट कैंसर के मामले

1. जेनेटिक म्यूटेशन

सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार जेनेटिक म्यूटेशन ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कारक साबित होता है। वे महिलाएं जिन्हें बीआरसीए 1 और बीआरसीए 2 जैसे जीन विरासत में मिलते है। उन महिलाओं में विशेषरूप से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है।

2. अर्ली प्यूबर्टी

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 2017 की एक शोध की मानें, तो 12 साल की उम्र से पहले पीरियड आरंभ होना। साथ ही 55 वर्ष की आयु के बाद मेनोपॉज से गुजरना स्तन कैंसर के खतरे का कारण बढ़ा सकता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण पीरियड साइकिल प्रभावित होती है। इसके अलावा वे महिलाएं जिनका पहला बच्चा 30 वर्ष या उसके बाद हुआ। उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है।


breast ka dhyaan rakhna hai zaruri
वे महिलाएं जिनका पहला बच्चा 30 वर्ष या उसके बाद हुआ। उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

3. रेडिएशन थेरेपी

सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वे महिलाएं, जिन्होंने 30 की उम्र से पहले चेस्ट व ब्रेस्ट पर किन्हीं कारणों से रेडिएशन थेरेपी ली हैं। उन महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है।

ब्रेस्ट एग्ज़ामिन करने के लिए किन टेस्ट की मदद लें

1. मैमोग्राम

स्तन के एक्स.रे को मैमोग्राम कहा जाता है। मैमोग्राम की मदद से स्तन कैंसर का पता लगाना आसान हो जाता है। सीडीसी के अनुसार नियमित मैमोग्राम होने से स्तन कैंसर से मौत का खतरा टल जाता है। आज के समय में मैमोग्राम के ज़रिए कैंसर को डायग्नोज करने में मदद मिलती है और लक्षणों के गंभीर होने से पहले उसका इलाज करने में मदद भी मिलती है।

2. ब्रेस्ट मेगनेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग यानि एमआरआई

ब्रेस्ट एमआरआई के लिए मैग्नेट और रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रेस्ट एमआरआई मैमोग्राम के साथ उन महिलाओं के लिए कारगर है, जिनमें स्तन कैंसर का उच्च जोखिम पाया जाता हैं।

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