अंतरात्मा के साथ संवाद साधने और शरीर को एनर्जी से भरपूर बनाने की प्रक्रिया को नाद योग का नाम दिया गया है। इससे शरीर के सभी चक्रों को को एक्टिव करने में मदद मिलती है। जानते हैं नाद योग मुद्रा क्या है और इसे करने की विधि
योग के माध्यम से शरीर स्वस्थ और संतुलित बना रहता है। मगर योग के साथ ध्यान का प्रयास करना फिज़िकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ को भी बूस्ट करता है। ऐसी ही एक क्रिया है, नाद योग। अंतरात्मा के साथ संवाद साधने और शरीर को एनर्जी से भरपूर बनाने की प्रक्रिया को नाद योग का नाम दिया गया है। इससे शरीर के सभी चक्रों को को एक्टिव करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर रोग से मुक्त हो जाता है। जानते हैं नाद योग मुद्रा क्या है और इसे करने की विधि।
नाद योग किसे कहते हैं
इस बारे में योग गुरू आचार्य प्रतिष्ठा का कहना है कि नाद योग शारीरिक हो या मानसिक हर रोग का समाधान है। दरअसल, ये क्रिया शरीर में में मूलाधार से स्हस्त्रार तक सभी चक्रों को प्रभावित करती है। इसे करने से एब्डोमिनल, चेस्ट और थ्रोट से ब्रीदिंग करते हैं। ये योग की एक ऐसी मुद्रा है, जो कार्बनडाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालकर ऑक्सीजन को ग्रहण करता है। नाद योग एक ऐसी मुद्रा है, जो तीन स्टेप्स में की जाती है।
जानते हैं नाद योग के फायदे
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं
नाद योग की नियमित तौर पर प्रैक्टिस करने से शरीर में ऑक्सीज़न का फ्लो बढ़ने लगता है। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों से मुक्ति मिल जाती है और शरीर डिटॉक्स हो जाता है। सक्रंमण का प्रभाव कम होने लगता है और इम्यून सिस्टम मज़बूत हो जाता है।
2. मेमोरी करे बूस्ट
बार बार भूलने की समस्या को दूर करने के लिए नाद योग का अभ्यास करें। इससे शरीर में मौजूद चक्र एक्टिव होने लगते हैं, जिससे लॉन्ग टर्म मेमेरी का विकास होता है। मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता और याद करने की क्षमता भी बढ़ने लगती है।
3. ब्रीदिंग से जुड़ी समस्या होगी दूर
इस मुद्रा का नियमित रूप से अभ्यास करने से सांस पर नियंत्रण बढ़ने लगता है। योग मुद्रा के दौरान सांस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। नाक से सांस लेकर की जाने वाली इस योग मुद्रा को तीन भागों में बाटा गया है और ये पूरी मुद्रा ब्रीदिंग पर ही केंद्रित है। इसके अभ्यास से सांस संबधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
नाद योग के तीन स्टेप्स
स्टेप 1
सबसे पहले स्थिर मुद्रा में बैठें और दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में अपने घुटनों के पास रखें।
इसके बाद आंखों को बंद कर लें, नाक से सांस लें और फिर पेट को फुलाएं। साथ ही अ की ध्वनि को निकालें।
मध्यम आवाज़ में अ की ध्वनि का उच्चारण करें। इसके बाद अ की ध्वनि के साथ ही धीरे धीरे सांस छोड़े।
इस योग मुद्रा के दौरान सांस पर ध्यान केंद्रित करें और इसे करने में जल्दबाज़ी से बचें।
तीन से पांच बाद इस क्रिया को दोहराएं। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगेगा
स्टेप 2
इस स्टेप में चेस्ट का एक्सपेंशन किया जाता है। इस स्टेप में सांस लेने से चेस्ट फूलने लगेगी।
गहरी सांस लें और चेस्ट को फुलाने का प्रयास करें। इस दौरान ओम की ध्वनि निकालें। हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।
अब धीरे धीरे ओम की ध्वनि के साथ ही सांस को रिलीज कर दें। इसे 3 से 5 बार दोहराएं।
इसे करने से अनाहद चक्र एक्टिव हो जाता है।
स्टेप 3
तीसरे और आखिरी स्टेप में पेट और सीना दोनों को ही फुलाना है। इसके लिए पहले सीना फूगी और फिर पेट को फुलाएं।
हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखकर सांस भरें और म की ध्वनि निकालें। इस दौरान अपनी आंखें बंद कर लें।
सांस लें और फिर धीरे धीरे छोड़ें। 3 बार करने के बाद आंखें खोल लें। इसके बाद तीनों स्टेप्स को एक साथ करें।
धीरे धीरे नाद योग के समय को बढ़ाते जाएं। इससे शरीर स्वस्थ और संतुलित बना रहता है।
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