By: Inextlive | Updated Date: Sat, 06 Apr 2024 01:25:25 (IST)
यूथ को रोजगार से जोडऩे की दिशा में आईवीआरआई एक नई पहल करने जा रहा है. इंस्टीट्यूट की ओर से 62 वोकेशनल तथा सर्टिफिकेट कोर्सेज शुरू करने की तैयारी की जा रही है, जिन्हें करके वे एंप्लॉयमेंट पा सकेंगे. आईवीआरआई द्वारा इसके लिए एक शैक्षणिक कलेंडर बनाने का निर्णय लिया गया है.
बरेली (ब्यूरो)। यूथ को रोजगार से जोडऩे की दिशा में आईवीआरआई एक नई पहल करने जा रहा है। इंस्टीट्यूट की ओर से 62 वोकेशनल तथा सर्टिफिकेट कोर्सेज शुरू करने की तैयारी की जा रही है, जिन्हें करके वे एंप्लॉयमेंट पा सकेंगे। आईवीआरआई द्वारा इसके लिए एक शैक्षणिक कलेंडर बनाने का निर्णय लिया गया है। प्रसार शिक्षा के लिए विभिन्न सोशल माध्यमों से इनका प्रचार-प्रसार करने, कृषक उत्पादक संगठन, पशुधन उत्पादकता बढ़ाने, किसान मेला, एग्जीबिशन आयोजित करने पर फैसला संस्थान द्वारा लिया गया है।
इस पर दिया जोर
बैठक में भविष्य में नई शिक्षा नीति अन्तर्गत इंटरफेस मीट आयोजित करने पर जोर दिया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक कृषि शिक्षा डॉ। यूके गौतम ने आईवीआरआई प्रसार शिक्षा के तहत हो रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा है कि हमें विकसित तकनीकों तथा नैदानिकों को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाना होगा तथा किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संबंधित डाटा एकत्र करने होंगे। किसानों को एक ही स्थान पर तकनीकों की जानकारी प्रदान करने के लिए ङ्क्षसगल ङ्क्षवडो सिस्टम विकसित करने की भी वकालत की। विकसित भारत बनाने में कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका बताई।
बड़ा होगा नेटवर्क
संस्थान निदेशक डॉ। त्रिवेणी दत्त ने कहा कि अब आने वाले समय में हमें प्रसार शिक्षा को और मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुत बड़ा प्रसार नेटवर्क है जिसमें 731 कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग शोध संस्थान (अटारी) द्वारा नियंत्रित होते हैं, इसके अतिरिक्त प्रगतिशाील किसानों का नेटवर्क है, जिसके माध्यम से हम संस्थान में विकसित तकनीकियों, नैदानिकों, पैकेज आफ प्रैक्टिस आदि को किसानों तक पहुंचा सकते हैं। डॉ। दत्त ने कहा कि संस्थान का प्रयास है प्रसार शिक्षा के माध्यम से और अधिक इंटरफेस मीट विभिन्न हितधारकों, उद्यमियों, एनजीओ के साथ किए जाएं, जिससे किसानों एवं पशुपालकों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके। हमें सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक प्रयोग करना होगा तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार चलाए जा रहे वोकेशनल तथा सार्टिफिकेट कोर्स का एक शैक्षणिक कलेंडर बनाना होगा। हमें पर किसान मेलों का आयोजन करना होगा तथा विभिन्न दूसरे संस्थानों द्वारा आयोजित किसानों में प्रतिभागिता कर अपनी तकनीकियों का प्रदर्शन करना होगा।
बढ़ाए जाएंगे पशुधन उत्पादन
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ। रूपसी तिवारी ने कहा कि आगामी वर्ष में 16 इंडस्ट्रीज इंटरफेस मीट, आईसीएआर कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य पशुपालन विभागों तथा औद्योगिक घरानों के साथ आयोजित की जाएंगी। 62 वोकेशनल तथा सार्टिफिकेट कोर्स, आठ किसान मेला, उपयोगी साहित्य, 22 प्रर्दशनी आयोजित की जाएंगी। आल इंडिया रेडियो के माध्यम से 30 एपिसोड वाले दो कृषि पाठशाला का आयोजन होगा।
बढ़ाई जाएगी भागीदारी
पशुधन क्षेत्र में किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए तीन कृषक उत्पादक संगठन महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तथा बंगाल में बनाए जाएंगे। पशुधन उत्पादन को बढ़ाने के लिए पांच सीड विलेज विकसित किए जाएंगे, जिसमें बरेली में साहिवाल व रुहेलखंड बकरी का सीड, मुक्तेश्वर में चैगरखा बकरी सीड तथा पुणे, महाराष्ट्र में उस्मानाबादी प्रजाति बकरी सीड शामिल हैं। सूकर पालकों के लिए सूकर फार्मिंग पर एक चैट वाट का निमार्ण होगा। इसके अतिरिक्त संस्थान का यू-टयूब चैनल आईवीआरआई डीम्ड यूनिवसिर्टी एजुकेशनल चैनल है जहां पर संस्थान द्वारा किसानों एवं पशुपालकों के लिए छोटी-छोटी वीडियो बनाकर ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की जाती है।
पेश की लिस्ट
प्रसार शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ। हंस राम मीणा ने संस्थान के कार्यों की कार्य सूची प्रस्तुत की। इस अवसर पर कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संस्थान अटारी कानपुर के निदेशक डॉ। शांतनु कुमार दुबे, संयुक्त निदेशक कैडराड डॉ। केपी ङ्क्षसह, संयुक्त निदेशक शोध डॉ। एसके ङ्क्षसह, संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डॉ। एसके मेंदीरत्ता ने विचार रखे। डॉ। श्रुति, डॉ। जी सांई कुमार, डॉ। अमरपाल, डॉ। मंडल, डॉ। पीधर, डॉ। मुकेश ङ्क्षसह, डॉ। अनुज चौहान, डॉ। बबलू कुमार, डॉ। चन्द्रकान्त, पशुपालन विभाग बरेली के सहायक निदेशक डॉ। ललित कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि डॉ। राजेश कुमार उपस्थित रहे।