Financial Times की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि टेस्ला गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों पर फोकस करेगी जहां पहले से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की मौजूदगी है। इस बारे में टिप्पणी के लिए Reuters की ओर से भेजे गए निवेदन का टेस्ला ने उत्तर नहीं दिया है। अमेरिका और चीन जैसे कंपनी के बड़े मार्केट्स में डिमांड घटने के कारण यह नए मार्केट्स में संभावना देख रही है। मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में टेस्ला की सेल्स 8.5 प्रतिशत घटी है। यह लगभग चार वर्ष में पहली बार है कि जब वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कंपनी की तिमाही सेल्स में कमी हुई है। इससे टेस्ला की ग्रोथ को लेकर आशंका बढ़ गई है।
बिलिनेयर Elon Musk की इस कंपनी ने पहली तिमाही में 3,86,810 व्हीकल्स की डिलीवरी की है। दुनिया भर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल्स गिरना और BYD जैसे EV मेकर्स से कड़ी टक्कर मिलना इसके पीछे बड़े कारण हैं। पिछले वर्ष की समान तिमाही में टेस्ला ने लगभग 4,23,000 यूनिट्स की बिक्री की थी। कंपनी ने अपने EV के प्राइसेज भी घटाए थे लेकिन इसके बावजूद इसे सेल्स में कमी का सामना करना पड़ा है। इसका असर टेस्ला के शेयर प्राइस पर भी पड़ा है। इस वर्ष कंपनी का शेयर लगभग 30 प्रतिशत गिरा है। भारत में पिछले महीने केंद्र सरकार ने न्यूनतम 50 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करने वाली EV कंपनियों के लिए इम्पोर्ट टैक्स को घटाया था।
देश के EV मार्केट में Tata Motors का पहला स्थान है। पिछले वर्ष कारों की कुल बिक्री में EV की हिस्सेदारी लगभग दो प्रतिशत की थी। सरकार ने 2030 तक इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इस मार्केट में टेस्ला की एंट्री से इनवेस्टमेंट बढ़ सकता है। इससे ऑटो पार्ट्स मेकर्स को भी फायदा होगा। पिछले वर्ष मस्क ने अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मीटिंग की थी। इसके बाद टेस्ला की फैक्टरी लगाने की योजना की रफ्तार बढ़ी है।
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