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high prolactin level infertility ka karan ban sakta hai. हाई प्रोलैक्टिन लेवल इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है।

bareillyonline.com by bareillyonline.com
20 March 2024
in बरेली न्यूज़
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high prolactin level infertility ka karan ban sakta hai. हाई प्रोलैक्टिन लेवल इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है।
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यदि कोई महिला प्रेगनेंट होना चाहती है, तो प्रक्रिया शुरू करने से पहले उसे अपने प्रजनन स्वास्थ्य को समझना चाहिए। कुछ महिलाओं में हाई प्रोलैक्टिन भी इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार बनता है। जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है ?

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प्रेग्नेंट होने से पहले कई तरह की तैयारी करनी पड़ती है। इसके लिए फर्टिलिटी भी चेक करनी पड़ती है। कभी-कभार हॉर्मोन इम्बैलेंस इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार बन जाते हैं। हॉर्मोन इम्बैलेंस प्रोलैक्टिन के कारण भी हो सकता है। यदि इसका लेवल हाई होता है, तो पूरे शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। प्रोलैक्टिन का हाई लेवल गर्भ ठहरने में भी दिक्क्त पैदा कर सकता है। सबसे पहले (high prolactin and infertility) इसके बारे में जानते हैं।

क्या है प्रोलैक्टिन (what is Prolactin)?

प्रोलैक्टिन पिट्यूटरी ग्लैंड में उत्पन्न होने वाला हार्मोन है। इसका शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं पर प्रभाव पड़ता है। प्रोलैक्टिन का हाई लेवल मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पाया जाता है। यह हार्मोन ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन के लिए जरूरी है।
प्रोलैक्टिन का ऊंचा स्तर मुख्य रूप से गर्भावस्था या स्तनपान के कारण होता है। हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया से पीड़ित 30% महिलाओं में इसका कारण अज्ञात होता है। बढ़े हुए

प्रोलैक्टिन के अलग-अलग कारण हो सकते हैं।

जानिए क्यों बढ़ जाता है प्रोलैक्टिन लेवल (Prolactin risk factors)

तनाव
नींद की कमी
एक्सरसाइज की कमी
प्रोटीन या वसा युक्त आहार
अवसाद, एंग्जायटी या इसी तरह की स्थितियों के लिए दवाएं
पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर
किडनी में समस्या
चेस्ट वॉल या रीढ़ की हड्डी में चोट लगना
एड्रीनल ग्लैंड में दिक़्क़त

हाई प्रोलैक्टिन लेवल के साइड इफेक्ट (high Prolactin level side effects)

जब एक महिला हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया से पीड़ित होती है, तो इससे एनोव्यूलेशन या अनियमित माहवारी हो सकती है। इससे भ्रूण प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम हो जाता है। यह गर्भावस्था प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करता है।

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जब एक महिला हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया से पीड़ित होती है, तो इससे एनोव्यूलेशन या अनियमित माहवारी हो सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या है हाई प्रोलैक्टिन ट्रीटमेंट (high Prolactin level treatment)

हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया का उपचार अलग-अलग हो सकता है। यदि यह दवा के कारण होता है, तो विशेषज्ञ प्रोलैक्टिन स्तर को सामान्य करने के लिए दवा को बंद करने की बात कह सकते हैं। दूसरी ओर, यदि हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया एंडोक्राइन डिसऑर्डर से संबंधित है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट के लिए कह सकते हैं।
पिट्यूटरी एडेनोमास या प्रोलैक्टिनोमास जैसे मामलों में डोपामाइन एंटागोनिस्ट के साथ दवा आवश्यक हो सकती है। सामान्य तौर पर हाई प्रोलैक्टिन स्तर का उपचार प्रजनन क्षमता को बहाल करना है।

कितना होना चाहिए प्रोलैक्टिन लेवल (Prolactin level)

सामान्य तौर पर सामान्य प्रोलैक्टिन स्तर 2-29 एनजी/एमएल के आसपास होता है। जब इस हार्मोन का कंसन्ट्रेशन 100 एनजी/एमएल से अधिक हो जाता है, तो प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), तनाव, हाइपोथायरायडिज्म या ओवेरियन सिस्ट या पिट्यूटरी प्रोलैक्टिनोमा हो सकता है।

कैसे कम करें प्रोलैक्टिन (How to reduce Prolactin level)

पहले बताए गए उपचार विकल्पों के अलावा स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना भी मददगार हो सकता है। योग, ध्यान और नियमित शारीरिक गतिविधि के माध्यम से तनाव के स्तर को कम रखने से भी प्रोलैक्टिन को कम किया जा सकता है।

खाद्य पदार्थ जो प्रोलैक्टिन स्तर को कम करते हैं (food lower prolactin level)

बढ़े हुए प्रोलैक्टिन स्तर को कम करने के लिए कोई विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं हैं। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार हार्मोन लेवल पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विटामिन बी6 से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, चिकन, केला और एवोकाडो खाया जा सकता है।

गर्भावस्था में प्रोलैक्टिन (prolactin in pregnancy)

गर्भावस्था के दौरान प्रोलैक्टिन स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए इसके हाई लेवल की निगरानी की जानी चाहिए।
सामान्य परिस्थितियों में या गर्भावस्था नहीं रहने पर प्रोलैक्टिन का निम्न स्तर होता है। जब इसका लेवल हाई हो जाता है, तो यह ओव्यूलेशन को बाधित कर सकता है या इसे धीमा कर सकता है। इसका मतलब यह है कि अंडाशय से रुक-रुक कर अंडा निकल सकता है या बिल्कुल भी जारी नहीं हो सकता है। अनियमित माहवारी या नहीं होना इसके हाई लेवल के लिए महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं। यदि ओव्यूलेशन उस समय नहीं होता है जब होना चाहिए, तो गर्भावस्था पाना अधिक कठिन हो जाता है।

pregnancy ke dauran dikhne wale kuch lakshan gambheer hote hain.
यदि ओव्यूलेशन उस समय नहीं होता है जब होना चाहिए, तो गर्भावस्था पाना अधिक कठिन हो जाता है। चित्र : अडॉबी स्टॉक

प्रोजेस्टेरोन का स्तर होता है प्रभावित (prolactin affects Progesterone level)

प्रोलैक्टिन का स्तर प्रोजेस्टेरोन सिंथेसिस को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त हो सकते हैं। यह हार्मोन ल्यूटियल फेज के दौरान ओव्यूलेशन के बाद गर्भाशय की दीवारों को मोटा करने के लिए जिम्मेदार होता है। प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने से यह अवधि कम हो जाती है, इसलिए एंडोमेट्रियम फीटस प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक मोटाई तक नहीं पहुंच पाता है। इसलिए अंडे का फर्टिलाइजेशन हो सकते हैं , गर्भवती होने की संभावना (high prolactin and infertility) कम होगी।

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