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Rangbhari Ekadashi 2024 Date: इस दिन मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी, नोट करें सही तिथि और पूजा विधि

bareillyonline.com by bareillyonline.com
17 March 2024
in न्यूज़
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धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे।

By Ekta Sharma

Publish Date: Sun, 17 Mar 2024 02:14 PM (IST)

Updated Date: Sun, 17 Mar 2024 02:29 PM (IST)

Rangbhari Ekadashi 2024 Date: इस दिन मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी, नोट करें सही तिथि और पूजा विधि
Rangbhari Ekadashi 2024

HighLights

  1. इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
  2. रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
  3. इस एकादशी को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Rangbhari Ekadashi 2024 Date: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी की तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। रंगभरी एकादशी का व्रत हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा भी करना चाहिए। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है।

माना जाता है कि ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है और भगवान विष्णु और शिव जी का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे। इस कारण इस एकादशी का अपना अलग महत्व है और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

रंगभरी एकादशी सही तिथि

इस बार रंगभरी एकादशी तिथि को लेकर लोग काफी असमंजस में हैं। कुछ लोगों का कहना है कि रंगभरी एकादशी 20 मार्च को मनाई जाएगी, तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि रंगभरी एकादशी 21 मार्च को मनाई जाएगी। रंगभरी एकादशी तिथि 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। यही 21 मार्च को सुबह 2:22 बजे समाप्त होगी। इस तरह रंगभरी एकादशी का व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा।

रंगभरी एकादशी पूजा विधि

  • रंगभरी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रीहरि और भगवान शिव का ध्यान करके अपने दिन की शुरुआत करें।
  • इसके बाद स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
  • विधिपूर्वक भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव और माता पार्वती का भी जल से अभिषेक करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता पार्वती को फूल चढ़ाएं।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें।
  • विशेष चीजों का भोग लगाएं। श्रीहरि के प्रसाद में तुलसी दल को शामिल करना चाहिए।
  • अंत में प्रसाद लोगों में बांट दें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

  • ABOUT THE AUTHOR

    एकता शर्मा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं और बीते 2 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। डिजिटल मीडिया में काम करने का अनुभव है। साल 2022 से जागरण न्यू मीडिया (JNM) से जुड़ी हैं और Naiduni …

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