दिल्ली उच्च न्यायालय ने पैसालो डिजिटल (Paisalo Digital) द्वारा कथित अनुचित लोन देने की जांच करने वाली एक याचिका पर आरबीआई और सेबी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पैसालो डिजिटल ऋण पर प्रति वर्ष 125% ब्याज दर ले रहा था, जो कि बहुत ज्यादा और अनुचित है।
बिजनेस टुडे में छपी खबर के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने बताया कि मई 2019 में 15.9 करोड़ रुपये का बकाया लोन जून 2019 में बढ़कर 23 करोड़ रुपये हो गया। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह वृद्धि अत्यधिक ब्याज दरों के कारण हुई है।
इस पर सेबी ने कहा है कि वह NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) की लोन प्रैक्टिस को रेगुलेट नहीं करता है। सेबी ने कहा कि वह सिक्योरिटी बाजार में बाजार रेगुलेटर के रूप में कार्य करता है और एनबीएफसी द्वारा दिए गए ऋण की ब्याज दरों या शर्तों को नियंत्रित नहीं करता है।
पैसालो डिजिटल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है। एनबीएफसी ने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय ने किसी भी नियामक को अनुचित उधार प्रथाओं की जांच करने का निर्देश नहीं दिया है।
यह मामला सत प्रिया महमिया मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट से संबंधित है, जिन्होंने 24 मार्च, 2018 को 12 करोड़ रुपये का लोन लिया था। लोन चुकाने में विफल रहने के बाद, पैसालो डिजिटल ने डिफॉल्टर और ट्रस्ट के पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की। एनबीएफसी ने कहा कि वह गिरवी रखी गई ज़मीन को बेचने की प्रक्रिया में है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी 2024 को आदेश दिया था कि गिरवी रखी गई संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव न हो। इसका मतलब है कि डिफॉल्टर (जिसने ऋण नहीं चुकाया) और उसके अधिकारी इन संपत्तियों को बेच या ट्रांसफर नहीं कर सकते। लेकिन डिफॉल्टर और उसके अधिकारी इस आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।
वे अवैध रूप से इन संपत्तियों को बेचने और ट्रांसफर करने की कोशिश कर रहे हैं। कंपनी ने सितंबर 2019 में माना था कि यह संपत्ति नुकसानदायक है और इसे 100% घाटे में डाल दिया। इसलिए एनबीएफसी ने कहा कि वह गिरवी रखी गई ज़मीन को बेचने की प्रक्रिया में है।
First Published – March 12, 2024 | 4:11 PM IST