By: Inextlive | Updated Date: Wed, 06 Mar 2024 01:41:43 (IST)
2010 में हुए दंगे में कोर्ट ने आईएमसी &इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल&य के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां को मुख्य मास्टरमाइंड माना है. ज्ञानवापी प्रकरण वाले जज अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट-प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने मौलाना तौकीर रजा खां को 11 मार्च को समन जारी कर न्यायालय में तलब किया है. कोर्ट ने जिला और मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ ही शासन स्तर के उच्चाधिकारियों तक पर मौलाना का सहयोग करने की बात कही है. आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी गई है.
बरेली (ब्यूरो)। 2010 में हुए दंगे में कोर्ट ने आईएमसी &इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल&य के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां को मुख्य मास्टरमाइंड माना है। ज्ञानवापी प्रकरण वाले जज अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट-प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने मौलाना तौकीर रजा खां को 11 मार्च को समन जारी कर न्यायालय में तलब किया है। कोर्ट ने जिला और मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ ही शासन स्तर के उच्चाधिकारियों तक पर मौलाना का सहयोग करने की बात कही है। आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी गई है।
सात आरोपितों का एनबीडब्ल्यू
दंगे के मामले में ट्यूजडे को तत्कालीन इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र यादव ने अपन सत्र न्यायाधीश-त्वरित न्यायालय प्रथम बरेली में अपने बयान दर्ज कराए। इस दौरान कोर्ट में दंगे के आरोपित रिजवान, दानिश, राजू, हसन, सौबी रजा, यासीन हाजिर नहीं हुए। उक्त आरोपितों की ओर से कोर्ट में हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट में गैरहाजिर रहे बाबू खां, आरिफ, अमजद अहमद, निसार अहमद, अबरार, राजू उर्फ राज कुमार और कौसर के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने प्रेमनगर पुलिस को आदेश दिया है कि उक्त आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जाए।
यह है मामला
दो मार्च 2010 को मोहल्ला सौदागरान निवासी आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने जनसमूह को भडक़ाऊ भाषण दिया था। उस के बाद उग्र भीड़ ने पुलिस चौकी फूंक दी थी। दूसरे समुदाय के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। महिलाओं के साथ अभद्रता की गई थी। मामले में पुलिस ने बलवा, सरकारी काम में बाधा, 7 सीएलए एक्ट, जानलेवा हमला, धार्मिक भावनाएं भडक़ाने, लोक संपत्ति निवारण अधिनियम की धाराओं में एफआईआर लिखी थी।
बच्चे पूछते हैं कि पापा क्या आपको जान से मार दिया जाएगा
अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर ने दिए गए आदेश की प्रति में अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी प्रकरण में वाराणसी में मैंने ही फैसला दिया था। इस वजह से एक धर्म विशेष के लोग और अधिकारियों का रवैया मेरे प्रति अजीब सा हो गया है। आदेश में उन्होने चर्चा की है कि मेरी मां, पत्नी और बच्चे तथा शाहजहांपुर में तैनात सिविल जज भाई मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह तक कहा है कि आवास के बाहर निकलने पर कई-कई बार सोचना पड़ता है। उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है जैसे की ज्ञानपावी प्रकरण में फैसला देकर कोई पाप कर दिया हो। आगे कहा है कि मेरे बच्चे मुझसे पूछते हैं कि पापा न्यूज चैनल में दिखाया जा रहा है कि आपको जान से मार दिया जाएगा तो मैं उन्हें समझाने के लिए कह देता हूं कि यह सब झूठ दिखाया जा रहा है। इस पर बच्चों का कहना होता है कि पापा स्कूल में हमारे दोस्त भी कहते हैं कि तुम्हारे पापा को जान से मार दिया जाएगा इसलिए आप हमें बेवकूफ नहीं बना सकते।
तत्कालीन अधिकारियों पर की टिप्पणी
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि मार्च 2010 में दंगा भडक़ाने वाले मौलाना तौकीर का नाम पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद चार्जशीट में शामिल नहीं किया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एसएसपी, डीआईजी, आईजी, कमिश्नर और डीएम ने विधिक रूप से कार्य न करके सत्ता के इशारे पर दंगे के आरोपित और मुख्य मास्टर माइंड मौलाना तौकीर रजा खां का सहयोग किया।