देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक ने रिजर्व बैंक से अनुरोध किया है कि ग्राहकों से हासिल हरित जमाओं (ग्रीन डिपॉजिट) पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कम रखा जाए। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
फिलहाल बैंक को अपनी कुल जमाओं पर 4.5 फीसदी का सीआरआर बनाए रखना होता है और इस मामले में हरित जमाओं को भी किसी तरह की विशेष सहूलियत हासिल नहीं है।
खारा ने कहा कि एसबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक के सामने दो प्रस्ताव रखे हैं- पहला यह है कि हरित जमाओं पर सीआरआर में कटौती की जाए और दूसरा, इसे सभी बैंकों की समग्र नीति का हिस्सा बनाया जाए।
खारा ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कोझिकोड के वृहद अर्थव्यवस्था पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि स्टेट बैंक ने अपने ऋणधारकों का पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट प्रशासन (ईएसजी) पैमाने पर आकलन शुरू किया है और वह जागरूकता बढ़ाने के लिए इनसे जानकारी साझा भी कर रहा है। हालांकि बैंक ने अभी तक ईएसजी पैमाने पर ऋण की ब्याज दरें तय करने का कदम नहीं उठाया है।
खारा ने कहा कि ग्रीन जमाओं पर अलग-अलग दरें तय करने के लिए बैंक ने नियामक यानी रिजर्व बैंक से मंजूरी मांगी है।
इस साल जनवरी में एसबीआई ने हरित रुपया सावधि जमा योजना शुरू की थी ताकि पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं को कर्ज देने के लिए धन जुटाया जा सके। इसके लिए एसबीआई ने खुदरा ग्राहकों के अलावा फैमिली ऑफिस, अमीरों (एचएनआई) के धन का प्रबंधन करने वाली इकाइयों से भी संपर्क किया है। इसके तहत एसबीआई ने तीन परिपक्वता अवधि- 1,111 दिन, 1,777 दिन और 2,222 दिन की मध्यम और दीर्घकालिक जमा योजनाएं शुरू की हैं। खुदरा जमाधारकों को 10 आधार अंक की विशेष छूट दी गई है।
यही नहीं, हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एसबीआई जमाओं के अलावा बाजारों में भी पहुंच रहा है। दिसंबर 2023 में बैंक ने वरिष्ठ असुरक्षित हरित फ्लोटिंग रेट नोट जारी कर 25 करोड़ डॉलर जुटाए, जो 29 दिसंबर, 2028 को परिपक्व होंगे।
खारा ने कहा कि अगले दो-तीन साल में कर्ज की ब्याज दरें तय करने में ईएसजी पैमाने की अहम भूमिका शुरू हो जाएगी। इसके बारे में जागरूकता बढ़ती जा रही है और आखिरकार इसका असर ऋण की दरें तय करने में होगा।
उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक हरित परिसंपत्तियों और देनदारी की निगरानी के लिए कुछ लेखा मानक होने चाहिए।
First Published – February 16, 2024 | 10:12 PM IST