एयरटेल ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से अनुरोध किया है कि वह दूरसंचार नेटवर्क पर व्हाट्सएप , टेलीग्राम , गूगल मैसेज, सिग्नल और अन्य जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जाने वाले स्पैम और ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई करे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार कंपनी ने ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि स्पैम ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित हो सकता है, जिसका उपयोग मुख्यधारा के विपणन और व्यावसायिक संचार के लिए तेजी से किया जा रहा है।
एयरटेल द्वारा ट्राई को लिखे गए पत्र में क्या कहा गया है?
8 नवंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेश अब केवल एसएमएस और वॉयस तक सीमित नहीं हैं। जबकि दूरसंचार ऑपरेटरों ने कॉमर्शियली एसएमएस और वॉयस संचार पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है, एक महत्वपूर्ण जोखिम यह है कि स्पैम ओटीटी चैनलों पर स्थानांतरित हो जाएगा, जो ट्राई के अनचाहे कॉमर्शियली संचार (यूसीसी) विनियमन सहित किसी भी नियामक निरीक्षण के अधीन नहीं हैं”। पत्र में, एयरटेल के मुख्य नियामक अधिकारी, राहुल वत्स ने सुझाव दिया कि दूरसंचार कंपनियां ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए केवाईसी प्रक्रिया को सेंट्रलाइज्ड करने में मदद कर सकती हैं। उन्होंने इन प्लेटफ़ॉर्म के लिए डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) स्क्रबिंग को अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव रखा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संदेश एसएमएस स्पैम को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले समान नियामक मानकों का पालन करते हैं।
ओटीटी को DLT पर शिफ्ट करने की मांग
इस बीच एयरटेल ने शीघ्र ही ओटीटी प्लेटफॉर्म को ब्लॉकचेन बेस्ड डिस्ट्रीब्यूटर टेक्नोलॉजी DLT पर शिफ्ट करने की मांग की है, जिससे टेलिकॉम की तरह केवाईसी प्रॉसेस को पूरा किया जाए। साथ ही एयरटेल ने ट्राई को ओटीटी प्लेटफॉर्म के ब्लैकलिस्टेड डेटाबेस को शेयर करना अनिवार्य बनाने की नसीहत दी है।
वहीं, कॉमर्शियली और प्रमोशनल मैसेज से टेलिकॉम ऑपरेटर को कमाई होगी। लेकिन नियमों को सख्त किए जाने से कमाई में कमी आ सकती है। लेकिन नियमों की गैरमौजूदगी की वजह से वॉट्सऐप, टेलिग्राम और सिग्नल जैसे प्लेटफॉर्म को बेहद फायदा हो सकता है।
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