डाइट में कैल्शियम की कमी, अनुवांशिक और अन्य कारणों के चलते लोगों को अर्थराइटिस यानी गठिया का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि अर्थराइटिस कई प्रकार के होते हैं। इस बीमारी में व्यक्तिक के जोड़ों में अकड़न हो जाती है और हाथ-पैरों के मूवमेंट में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि लोगों को अपने रोजाना के काम करने में भी परेशानी होने लगती है। अर्थराइटिस के सबसे आम प्रकार में रूमेटाइट अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis – RA) और ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis – OA) को शामिल किया जाता है। यह बीमारी जोड़ों से जुड़ी होती है। इसमें लाइफस्टाइल में बदलाव से मरीज के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस लेख में वेव क्योर सेंटर के सीनियर अर्थोपेडिक्स डॉक्टर अंकित पाठक से जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस के बीच क्या अंतर होता है। जानकार बताते हैं कि ये दोनों ही स्थिति कारण, लक्षण, उम्र और इलाज आदि कई तरह से अलग हो सकती हैं। आगे जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
रूमेटाइड अर्थराइटिस और ऑस्टियोअर्थराइटिस में अंतर – Difference Between Rheumatoid Arthritis And Osteoarthritis In Hindi
कारणों के आधार पर अंतर
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस: यह एक ऑटो इम्यून रोग (autoimmune disease) है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ जोड़ों पर हमला करती है। इसका सटीक कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारणों से जुड़ा हो सकता है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह जोड़ों के उपयोग और घिसाव के कारण होता है। उम्र के साथ जोड़ो की कार्टिलेज (cartilage) खराब हो जाती है, जिससे हड्डियां एक-दूसरे के साथ रगड़ने लगती हैं, जो दर्द और अकड़न पैदा करता है।
उम्र के आधार पर अंतर
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस: यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह 30 से 60 साल की उम्र के बीच शुरू होता है। यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखा जाता है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह मुख्य रूप से 50 साल के बाद के लोगों में होता है, और उम्र के साथ इसका जोखिम बढ़ता है। पुरुषों और महिलाओं में यह समान रूप से हो सकता है, हालांकि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में यह अधिक सामान्य है।
लक्षण के आधार पर अंतर
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस: इसमें शरीर के जोड़ों की सूजन, दर्द और अकड़न होती है। जैसे, यदि एक हाथ के जोड़ प्रभावित होते हैं, तो दूसरे हाथ के जोड़ भी प्रभावित होंगे। इसके अतिरिक्त, थकान, बुखार, और वजन कम होना जैसे अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: इसका प्रभाव सिर्फ एक तरफ के जोड़ों पर होता है, खासकर उन जोड़ों पर जो ज्यादा इस्तेमाल होते हैं, जैसे कि घुटने, कूल्हे और रीढ़ आदि। इसके मुख्य लक्षणों में जोड़ों का दर्द और अकड़न शामिल होते हैं, जो खासकर सुबह के समय या लंबे समय तक आराम के बाद महसूस होता है।
इलाज के आधार पर अंतर
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस: इसके इलाज में इम्यूनोसप्रेसिव दवाओ का इस्तेमाल किया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करते हैं। दवाएं सूजन को कम करती हैं और रोग के बढ़ने की गति को धीमा करती हैं।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: इसका उपचार मुख्य रूप से पेन को कम करने पर केंद्रित होता है। इसमें पेन रिलीफ दवाएं, फिजियोथेरेपी, वजन कम करना, और कभी-कभी जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी शामिल होती है।
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रूमेटॉइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस, दोनों ही जोड़ों की बीमारियां हैं, लेकिन उनके कारण, लक्षण और उपचार में महत्वपूर्ण अंतर है। रूमेटॉइड आर्थराइटिस एक स्व-प्रतिरक्षी रोग है, जबकि ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के घिसाव के कारण होता है। दोनों बीमारियों का सही समय पर निदान और उपचार करने से रोगी की जीवनशैली को बेहतर बनाया जा सकता है।