बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाथियों की दुर्घटनाएँ
स्रोत: द हिंदू
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR) में हाथियों के एक समूह की कथित तौर पर कोदो (कदन्न) खाने से मृत्यु हो गई।
- राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), CSIR द्वारा वर्ष 2023 में किए गए अध्ययन के अनुसार, कोदो (कदन्न) का सेवन अक्सर लोगों और जानवरों में विषाक्तता और नशा के प्रभाव के रूप देखा जाता है।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व:
- यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर विस्तृत है।
- यह ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, जिसका प्रमाण प्रसिद्ध बांधवगढ़ किले के साथ-साथ संरक्षित क्षेत्र में मौजूद अनेक गुफाएँ, शैलचित्र और नक्काशी है।
- यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है।
- वर्ष 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
- बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।
- भारत में हाथियों की जनसंख्या:
- भारत में जंगली एशियाई हाथी सबसे अधिक पाए जाते है, जिनकी जनसंख्या प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार 29,964 अनुमानित है।
- हाथियों की सबसे अधिक संख्या कर्नाटक में है, उसके बाद असम और केरल का स्थान है।
- भारत में जंगली एशियाई हाथी सबसे अधिक पाए जाते है, जिनकी जनसंख्या प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार 29,964 अनुमानित है।
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