सर्वोच्च न्यायालय: केवल डॉक्टरों को खराब परिणामों के लिये लापरवाह नहीं माना जा सकता
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि चिकित्सा पेशेवरों को केवल असफल उपचार परिणामों के कारण चिकित्सकीय लापरवाही के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिये।
- चिकित्सकीय लापरवाही, जिसे सामान्यतः चिकित्सा कदाचार के रूप में जाना जाता है, तब उत्पन्न होती है जब एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता किसी रोगी के लिए देखभाल के मानक मानदंडों का पालन नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप हानि, चोट या यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी डॉक्टर को केवल इसलिये चिकित्सीय लापरवाही के लिये तुरंत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि मरीज़ ने सर्जरी या उपचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी।
- उत्तरदायित्व केवल तभी स्थापित किया जा सकता है जब साक्ष्य यह दर्शाए कि डॉक्टर अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में आवश्यक कौशल का प्रयोग करने में विफल रहे।
- इन मामलों में “रेस इप्सा लोक्विटुर” (जिसका अर्थ है ” the thing speaks for itself अर्थात् वस्तु स्वयं बोलती है”) का सिद्धांत लागू नहीं होता।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी डॉक्टर को केवल इसलिये चिकित्सीय लापरवाही के लिये तुरंत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि मरीज़ ने सर्जरी या उपचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी।
- रेस इप्सा लोकिटुर सिद्धांत: तात्पर्य यह है कि लापरवाही स्पष्ट है और इसके लिये किसी अतिरिक्त साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है।
- हालाँकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि नकारात्मक परिणाम स्वतः ही लापरवाही का संकेत नहीं है।
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