नयी दिल्ली । केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र/समन जारी करते समय चल रही जांच की विशिष्ट प्रकृति का खुलासा करने और एक साल के भीतर जांच पूरी करने को कहा है। सीबीआईसी ने एक निर्देश में कहा, ‘‘अधिकारियों को वस्तुओं के आयात या निर्यात में कर चोरी की जांच के दौरान एक ‘‘संतुलित’’ दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए ताकि कारोबार सुगमता में व्यवधान से बचा जा सके। इन्हें आमतौर पर वाणिज्यिक आसूचना/धोखाधड़ी (सीआई) मामले कहा जाता है।
सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ जांच शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि सभी सूचनाओं पर गौर किया जाए तथा आयातक/निर्यातक के साथ संपर्क को कम करने के लिए उपलब्ध आंकड़ों की दोबारा जांच की जाए।’’ आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आयुक्त किसी भी खुफिया जानकारी, जांच और उसकों विकसित करने तथा अनुमोदित करने के लिए जिम्मेदार होता है। सीबीआईसी ने एक नवंबर को जारी निर्देश में कहा, ‘‘ किसी भी वाणिज्यिक आसूचना/धोखाधड़ी के मामले की जांच जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचनी चाहिए, जो सामान्यतः एक वर्ष से अधिक नहीं होती है।’’
सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि दिशानिर्देश सीआई धोखाधड़ी मामलों की जांच के दौरान न्यूनतम व्यवधान के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं। अग्रवाल ने सीबीआईसी अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ ये उपाय पारदर्शिता बनाए रखने, अनावश्यक देरी को कम करने और अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने के लिए तैयार किए गए हैं।’’ जांच करने के प्रारंभिक निर्णय के बाद, सीमा शुल्क अधिकारी निर्यातक/ आयातक से दस्तावेज मांग सकते हैं…अधिकतर पत्र लिखकर।
इसमें कहा गया, सीआई मामलों में सूचना/दस्तावेज मांगते समय, पत्र/समन में शुरू की जा रही जांच की विशिष्ट प्रकृति का खुलासा किया जाना चाहिए तथा अस्पष्ट (या सामान्य) अभिव्यक्तियों से बचा जाना चाहिए। इसमें कहा गया, ‘‘ जहां भी अनुमति हो, अधिकारी समन किए गए व्यक्ति को अधिकृत एजेंट के माध्यम से उपस्थित होने का विकल्प बताता है।’’ सीबीआईसी ने कहा कि सीमा शुल्क आयुक्त, किसी जारी जांच में ‘‘उचित शिकायत’’ होने पर आयातक/निर्यातक या उसके प्रतिनिधि से मुलाकात करने पर विचार कर सकते हैं।
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