29 और 30 नवंबर को पञ्च महायोग और अक्षय लक्ष्मी कारक योग बन रहा है। पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ, स्वास्तिक बनाकर धनवंतरी की पूजा और चांदी के पात्र में खीर का भोग अर्पित करने का विधान है। विभिन्न राशि अनुसार खरीदारी के शुभ मुहूर्त भी बताए गए हैं, जिसमें स्वर्ण, रजत, और अन्य सामान खरीदने का सही समय बताया गया है।
By Vakesh Sahu
Publish Date: Sun, 27 Oct 2024 06:17:41 PM (IST)
Updated Date: Sun, 27 Oct 2024 06:21:00 PM (IST)
HighLights
- भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ विशेष मंत्र का उच्चारण करें।
- चांदी, सोना और अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदने का शुभ समय।
- 29-30 नवंबर को पञ्च महायोग और अक्षय लक्ष्मी का शुभ संयोग।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार, शास्त्रों में वर्णित है कि देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन की प्रक्रिया के दौरान इसी दिन धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। यह दिन विशेष रूप से लक्ष्मी और धन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन यदि पात्र खरीदा जाए तो उसकी धारणीय क्षमता के अनुसार तेरह गुना धन और ऐश्वर्य प्राप्त होने की संभावना रहती है।
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय ने बताया कि 29 और 30 नवंबर को पञ्च महायोग और अक्षय लक्ष्मी कारक योग का संयोग बन रहा है। 29 नवंबर को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि प्रात: 10:31 बजे तक रहेगी, जबकि शाम को प्रदोष काल की त्रयोदशी तिथि होगी। इस दिन चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र के कारण विशेष शुभता बनी हुई है।
इस दिन ऐन्द्र, प्रजापति, आनंद, त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसी अक्षय लक्ष्मी कारक योग की स्थिति है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि आचार्य धनवंतरी चांदी के कलश के साथ प्रकट हुए थे। सूर्यास्त के समय, यानी शाम 5:26 बजे से अगले दो घंटे 24 मिनट तक प्रदोष मुहूर्त में की गई हर खरीदारी लक्ष्मी का कारक बनेगी।
धनतेरस पर ऐसे करें भगवान धन्वंतरि की पूजा
धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश अवतार माना गया है। इसलिए धनतेरस के दिन प्रात:काल धन्वंतरि के पूजन से पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाए तो पूजन का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होगा। आम की लकड़ी पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उसके बीच में एक बड़ी पूजा सुपारी को गुलाब जल से साफ करके भगवान धन्वंतरि के रूप में स्थापित करें। चांदी के पात्र में चावल से बनी खीर का भोग अर्पित करें और तुलसी का पत्र चढ़ाएं। कपूर की आरती कर निम्नलिखित मंत्र से रोग नाश की प्रार्थना करें:
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्
धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।
धनतेरस के मुहूर्त
- वृश्चिक लग्न: प्रात: 7:24 से 9:39 बजे तक – देव प्रतिमा, हीरा, स्वर्ण आभूषण, किचन का सामान, मशीन, वाहन आदि खरीदे जा सकते हैं।
- कुम्भ लग्न: मध्यान्ह 1:33 से 3:07 बजे तक – हीरा, स्वर्ण आभूषण, मशीन, वाहन, औजार आदि।
- वृषभ लग्न: सायंकाल 6:21 से 8:20 बजे तक – चांदी, किचन के सामान, मशीन, हीरा, स्वर्ण आभूषण, भूमि या भवन की बुकिंग।
चौघडिया के अनुसार खरीददारी
- प्रात: 6:07 से 8:57 बजे तक: चार लाभ और अमृत चौघडिया – स्वर्ण आभूषण, औषधि, किचन का सामान।
- प्रात: 10:22 से 11:47 बजे तक: शुभ चौघडिया – वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान।
- मध्यान्ह 2:37 से 5:27 बजे तक: चर और लाभ चौघडिया – भूमि, हीरा, स्वर्ण आभूषण।
- रात्रि 7:02 से 11:47 बजे तक: शुभ, अमृत और चर चौघडिया – स्वर्ण आभूषण, रत्न, देव प्रतिमा।
राशि अनुसार खरीदारी
- मेष: पति/पत्नी के लिए स्वर्ण या रजत उपहार।
- वृषभ: सजावट का सामान, वाहन।
- मिथुन: देव प्रतिमा, हरे रत्न जड़ा ब्रेसलेट।
- कर्क: मोती, वस्त्र, स्वर्ण आभूषण।
- सिंह: लाकर, अलमारी, वाहन।
- कन्या: गैस चूल्हा, पन्ना रत्न।
- तुला: लाइट डेकोरेशन, स्वर्ण की रिंग।
- वृश्चिक: देव का मंदिर, सजावट सामग्री।
- धनु: माता के लिए आभूषण।
- मकर: उपयोगी यंत्र, वाहन।
- कुम्भ: पानी भरने का घड़ा।
- मीन: मोती, पुखराज।