नई दिल्ली5 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें एड-टेक फर्म बायजूस और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपए के समझौते को मंजूरी दी गई थी।
बुधवार (23 अक्टूबर, 2024) को कोर्ट ने समझौते के लिए दी जाने वाली 158.9 करोड़ रुपए की राशि को बोर्ड ऑफ क्रेडिटर्स के पास जमा करने का भी आदेश दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या बदलेगा:
- समझौते का 158.9 करोड़ रुपए कंपनी के क्रेडिटर्स के पास जमा करना होगा।
- बायजूस पर एक बार फिर दिवालिया कार्रवाई शुरू हो सकती है।
- बायजू रवींद्रन से फर्म का कंट्रोल छिन सकता है।
क्रेडिटर्स के आदेश के बाद समझौते पर SC ने रोक लगाई थी
इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एडटेक कंपनी बायजूस को झटका देते हुए NCLAT के समझौते की अनुमति वाले फैसले पर रोक लगा दी थी और समझौता राशि को अलग खाते में रखने का आदेश दिया था।
बायजूस ग्रुप की कंपनी के कुछ लेंडर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले US बेस्ड ग्लास ट्रस्ट ने 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी। इस अपील में ट्रिब्यूनल के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें बायजूस और BCCI को पेमेंट के मामले को सेटल करने की अनुमति दी गई थी।
समझौते पर अमेरिका बेस्ड लेंडर्स ने सवाल उठाए थे…
- लेंडर्स ने NCLAT से समझौते को स्वीकार नहीं करने के लिए कहा था।
- इनके वकील मुकुल रोहतगी ने इसे ‘दागदार समझौता’ कहा था।
- रोहतगी ने कहा था- भुगतान ‘चोरी के पैसों’ से किया जा रहा है।
- बायजू और रिजू ने साजिश रची और 500 मिलियन डॉलर चुराए।
- लेंडर्स ने कहा था यह हमारा पैसा है, जिसे इन लोगों ने निकाल लिया है।
NCLAT ने बायजूस-BCCI के समझौते को मंजूर किया था नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने 2 अगस्त को बायजूस की पेरेंट कंपनी ‘थिंक एंड लर्न’ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI के बीच हुए समझौते को मंजूरी दी थी।
दोनों पक्षों के बीच यह समझौता 31 जुलाई को हुआ था। एडटेक स्टार्टअप BCCI को स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट का बकाया 158 करोड़ रुपए देने को राजी हो गई। बायजूस को इस राशि का भुगतान 2 अगस्त और 9 अगस्त को करना था।
कंपनी का कंट्रोल फिर बायजू रवींद्रन के पास NCLAT ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूलन (NCLT) के 16 जुलाई के आदेश को निलंबित कर दिया, जिसमें कंपनी पर दिवालिया कार्रवाई शुरू करने का आदेश था। हालांकि, फैसले के बाद कंपनी का नियंत्रण अब बायजू रवींद्रन के पास वापस आ जाएगा।
16 जुलाई के NCLT के आदेश के बाद बायजू रवींद्रन और कंपनी की बोर्ड से कंट्रोल ले लिया गया था। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2016 के मुताबिक, जिस कंपनी पर दिवालिया की कार्रवाई शुरू होती है, उसके बोर्ड से कंपनी का कंट्रोल ले लिया जाता है।
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