अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस (IAD) के साथ पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले समारोह को संबोधित किया।
इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) और संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के तैंतीस दिव्य प्राणियों (तावतिंस-देवलोक) के दिव्य लोक से संकस्सिया (जिसे आज भारत के उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले में स्थित संकिसा बसंतपुर के रूप में जाना जाता है) में अवतरण की याद दिलाता है।
- अभिधम्म के पीछे की कहानी: पाली ग्रंथों के अनुसार, बुद्ध ने अभिधम्म का उपदेश सबसे पहले तावतिंस स्वर्ग के देवताओं को दिया, जिनकी मुखिया उनकी माँ थीं।
- पुनः पृथ्वी पर लौटकर, उन्होंने यह सन्देश अपने शिष्य सारिपुत्त को दिया।
- घटना का चिह्न: यह शुभ दिन (प्रथम) वर्षावास के अंत और पवारण उत्सव के साथ मेल खाता है।
- वर्षावास (वस्सा) एक वार्षिक तीन महीने का मठवासी एकांतवास है, जो विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान थेरवाद बौद्ध परंपरा में किया जाता है।
- पवारण उत्सव वस्सा के समापन का प्रतीक है, जहाँ भिक्षु एक साथ एकत्र होकर एकांतवास के दौरान की गई गलतियों या भूलों को स्वीकार करते हैं तथा अपने साथी भिक्षुओं को आमंत्रित करते हैं कि वे उनकी कमियों को बताएँ।
- पवारण त्योहार 11 वें चन्द्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर में होता है।
अभिधम्म पिटक क्या है?
- अभिधम्म पिटक तीन पिटकों में से अंतिम है, जो पाली कैनन/त्रिपिटक का गठन करता है, जो थेरवाद बौद्ध धर्म के सबसे लोकप्रिय ग्रंथों में से एक है।
- अभिधम्म पिटक सुत्तों में बुद्ध की शिक्षाओं का एक विस्तृत विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण और सारांश है। यह बौद्ध धर्म के दर्शन, सिद्धांत, मनोविज्ञान, तत्वमीमांसा, नैतिकता और ज्ञानमीमांसा से संबंधित है।
- त्रिपिटक के अन्य शेष पिटक विनय पिटक और सुत्त पिटक हैं।
- विनय पिटक संघ के भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिये आचरण के नियम हैं।
- सुत्त पिटक में बुद्ध और उनके नज़दीकी शिष्यों द्वारा दिये गए सुत्त (शिक्षाएँ/प्रवचन) शामिल हैं।
- अभिधम्म पिटक में सात अलग-अलग पुस्तकें शामिल हैं।
- धम्मसंगणि- घटनाओं की गणना
- विभंग- संधियों की पुस्तक
- धातुकथा- तत्त्वों के संदर्भ में चर्चा
- पुग्गलापनट्टी (Puggalapanatti)- व्यक्तित्व का विवरण
- कथावत्थु- विवाद के बिंदु
- यमाका- पुस्तकों का युग्म
- पथना (Patthana) -संबंधों की पुस्तक
पाली भाषा से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- पाली भाषा की उत्पत्ति: पाली इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित है ।
- प्रारंभ में, पाली को मगध (आधुनिक बिहार) की भाषा, मागधी के समान माना जाता था ।
- हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पाली भाषा की पश्चिमी भारत की प्राकृत भाषा से अधिक समानता रखती है।
- शास्त्रीय भाषा: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राकृत, मराठी, असमिया और बंगाली के साथ पाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता देने को स्वीकृत दी है।
- अशोक से संबंध: सम्राट अशोक के शिलालेख पाली भाषा में लिखे गए थे, विशेषकर आधुनिक उत्तर प्रदेश में।
- बौद्ध धर्म से संबंध: पाली तीन थेरवाद बौद्ध सिद्धांतों यानी विनय पिटक, सुत्त पिटक और अभिधम्म पिटक की भाषा है।
- पाली की लिपियाँ: मूल रूप से इसे ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों में लिखा जाता था। जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ, पाली को स्थानीय लिपियों में लिखा जाने लगा, जैसे श्रीलंका में सिंहली , म्याँमार में बर्मी, थाईलैंड में थाई और कंबोडिया में खमेर आदि।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रारंभिक परीक्षा:
प्रश्न.भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं ?
(a) केवल 1 और 2
उत्तर: (b)
प्रश्न. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, ‘परामिता’ शब्द का सही विवरण निम्नलिखित में से कौन-सा है? (2020)
(a)सूत्र पद्धति में लिखे गए प्राचीनतम धर्मशास्त्र पाठ
उत्तर: C
प्रश्न.भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल 1 और 2
उत्तर: (b)
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