मेनोपॉज की शुरुआत अमूमन 50 वर्ष के आसपास मानी जाती है। मगर कुछ महिलाओं को इस उम्र से पहले यानी अर्ली मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है। अर्ली मेनोपॉज की तरह लेट मेनोपॉज भी आपकी सेहत को प्रभावित करता है।
मेनोपॉज एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे सभी महिलाओं को होकर गुज़रना पड़ता है। मेनोपॉज का पीरियड 12 महीने का माना जाता है, जिसमें मासिक धर्म अनियमित रहता है और फिर पीरियड होने बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज की शुरुआत अमूमन 50 वर्ष के आसपास मानी जाती है। मगर कुछ महिलाओं को इस उम्र से पहले यानी अर्ली मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है। जबकि कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें मेनोपाॅज बहुत देर से होता है। इसे लेट मेनोपॉज कहा जाता है। अर्ली मेनोपॉज की ही तरह लेट मेनोपॉज भी आपकी सेहत को कई तरह से प्रभावित करता है। इसलिए इसके बारे में जानना और इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना जरूरी है। वर्ल्ड मेनोपॉज डे (world menopause day) पर आइए लेट मेनोपॉज (Late menopause) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वर्ल्ड मेनोपॉज डे 2024 (World Menopause Day 2024)
विश्वभर की महिलाओं में मेनोपॉज के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 18 अक्टूबर हर साल वर्ल्ड मेनोपॉज डे के रूप में मनाया जाता है। इंटरनेशनल मेनोपॉज सोसायटी के अनुसार वर्ल्ड मेनोपॉज डे 2024 की थीम (World menopause day theme) “मेनोपॉज हार्मोन थेरेपी” (menopause hormone therapy) है। इस थेरेपी को हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी कहा जाता है, जिसकी मदद से मेनोपॉज के लक्षणों को एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के संयोजन से नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बारे में वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग, डैफोडिल्स बाय आर्टेमिस, ईस्ट ऑफ कैलाश, नई दिल्ली डॉ पूजा शर्मा ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लगातार 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आने को मेनोपॉज कहा जाता है। प्रत्येक महिला के जीवन में होने वाली ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। आमतौर पर 50 से 51 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज होता है। सर्जरी के माध्यम से ओवरी हटा देने या कुछ अन्य मामलों में ये बदलाव शरीर में उम्र से पहले भी हो जाता है। मेनोपाॅज के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण शरीर में एक्ने, मोटापा, पसीना आना और मूड स्विंग समेत कई लक्षण देखने को मिलते हैं।
ये आदतें करती हैं मेनोपॉज की उम्र को प्रभावित (These habits affect the age of menopause)
- एनआईएच की रिसर्च के अनुसार शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में अन्य की तुलना में थोड़ा देर से मेनोपॉज होता है।
- गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन और रजोनिवृत्ति में देरी के बीच भी संबंध पाया गया है। एक्सपर्ट के अनुसार इन गोलियों के कारण मेनोपॉज के लक्षण ज्यादा प्रभावी तरीके से नहीं दिखते हैं। नॉन वेजिटेरियन आहार लेने वाली महिलाओं में मेनोपॉज देर से होने की संभावना होती है।
- विटामिन बी6 एवं जिंक का अधिक सेवन तथा ऑयली फिश या फ्रेश लीगम्स का ज्यादा सेवन छह महीने से तीन साल तक की देरी का कारण बन सकता है।
- खानपान में अनियमितता इस समस्या का कारण बनती है। वहीं बहुत ज्यादा धूम्रपान करने वाली महिलाओं और रिफाइंड पास्ता एवं चावल जैसे कार्बोहाइड्रेट का सेवन जल्दी मेनोपॉज का कारण बन सकते हैं।
लेट मेनोपॉज के कुछ रिस्क फैक्टर भी होते हैं (Risk factors of late menopause)
1. जेनेटिक्स
पहला रिस्क फैक्टर जेनेटिक्स माना जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार लेट मेनोपॉज के पीछे जेनेटिकल कारण भी देखने को मिलते हैं। अगर मां का मेनोपॉज देरी से हुआ हो, तो उससे बेटी में भी मेनोपॉज देर से होने की संभावना बढ़ जाती है। लेट मेनोपॉज में अनियमितता के आधे मामले जेनेटिक्स से ही संबंधित पाए जाते हैं।
2. एस्ट्रोजन का स्तर
ऐसी स्थिति में शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। यही कारण है कि मोटापे की शिकार महिलाओं में लेट मेनोपॉज होने की संभावना बनी रहती है। दरअसल फैट टिश्यू एस्ट्रोजन को प्रोड्यूस और स्टोर कर लेते हैं। इससे एस्ट्रोजन का स्तर कम होने में समय लगता है और रजोनिवृति देर से होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी एंड रिलेटेड मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में देर से रजोनिवृत्ति होना असामान्य नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फैट्स एस्ट्रोजन प्रोड्यूस करने लगते है।
3. पीरियड देर से शुरू होना
जिन महिलाओं में पीरियड्स की शुरुआत देर से हुई हो, पीरियड्स अक्सर अनियमित रहे हों या प्राकृतिक रूप से जिनके शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक हो, उनमें भी मेनोपॉज देरी से होने की संभावना होती है।
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4. लेट प्रेगनेंसी
ज्यादा उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में भी मेनोपॉज देरी से हो सकता है। दरअसल शरीर को गर्भावस्था और उसके बाद की स्थितियों के हिसाब से ढलने में समय लगता है इसलिए लेट मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है।
लेट मेनोपॉज बढ़ा देता है स्तन कैंसर का जोखिम (Late menopause increases breast cancer risk)
डॉ पूजा शर्मा बताती हैं कि हर महिला में मेनोपॉज की उम्र और पैटर्न अलग होता है। कुछ महिलाओं में 55 से 60 साल की उम्र तक भी रजोनिवृत्ति नहीं होती। ऐसी महिलाएं जो एचआरटी यानी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले रही है, उन्हें लेट मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता से मोटापा बढ़ने लगता है और साथ ही यूटरिन एवं ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है।
अगर 40 वर्ष के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ता है, तो उससे कैंसर की संभावना भी बढ़ती चली जाती है। इसलिए अगर मेनोपॉज में बहुत ज्यादा देरी हो, तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। साथ ही 55 के बाद अगर मेनोपॉज के के संकेत नजर आते हैं, तो ऐसी महिलाओं में लंबे समय तक घुटनों के दर्द, योनि में रूखापन और ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम कम हो जाता हैं।