उन्होंने कहा कि बहुत से अभिभावकों से उन्हें बताया है कि वह अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए कम आयु में उन्हें फोन देते हैं। प्रिंस हैरी का कहना था, “अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों के पास स्कूल में इमरजेंसी की स्थिति में होने में फोन हो। अगर बच्चे के पास फोन है तो अगर आप उन्हें किसी ऐप को डाउनलोड नहीं करने के लिए भी कहेंगे तो भी वे उसे डाउनलोड करने का तरीका खोज लेंगे। सोशल मीडिया कंपनियां इसके लिए आसानी से अभिभावकों को दोषी ठहरा देती हैं।”
प्रिंस हैरी का कहना था, “ऑनलाइन होने पर बच्चे सोशल मीडिया पर अंजान लोगों के साथ अधिक कनेक्टेड महसूस करते हैं। अगर आप एक अभिभावक हैं तो आपको यह कैसे पता होगा कि सोशल मीडिया पर आपका बच्चा सुरक्षित है।” स्मार्टफोन्स के इस्तेमाल को लेकर व्यस्कों को भी सतर्कता बरतने की जरूरत है। हाल ही में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) को सिक्योरिटी से जुड़ी कुछ कमियां नजर आई हैं। इस बारे में जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, एंड्रॉयड के अंदर ये कमियां साइबर अटैकर्स को टारगेटेड सिस्टम पर अपनी मर्जी का कोड अप्लाई करने का जरिया दे सकती हैं। CERT-In ने इन कमियों को गंभीरता के उच्च स्तर पर रखा है, जिससे यूजर्स को बड़े खतरे का संकेत मिल रहा है।
एंड्रॉयड के वर्जन 12, 12L, 13, 14 और 15 पर चलने वाले स्मार्टफोन और टैबलेट को इससे खतरा है। अगर आपका स्मार्टफोन या टैबलेट इन वर्जन पर चल रहा है तो आपके डिवाइस में परेशानी हो सकती है। इस एडवाइजरी में कहा गया है कि एंड्रॉयड में फ्रेमवर्क, सिस्टम, गूगल प्ले सिस्टम अपडेट, इमेजिनेशन टेक्नोलॉजीज कंपोनेंट्स, मीडियाटेक कंपोनेंट्स, क्वालकॉम कंपोनेंट्स और क्वॉलकॉम क्लोज्ड-सोर्स कंपोनेंट्स की कमियों के कारण यह खतरा है।
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