कंसल्टिंग फर्म Bain & Co ने अपनी ग्लोबल टेक्नोलॉजी रिपोर्ट में बताया है कि AI से जुड़ी सर्विसेज और हार्डवेयर का मार्केट पिछले वर्ष 185 अरब डॉलर से वार्षिक 40 प्रतिशत से 55 प्रतिशत बढ़कर 2027 तक 780 अरब डॉलर से 990 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सेगमेंट में डिमांड इतनी तेजी से बढ़ रही है कि चिप्स सहित कंपोनेंट्स की सप्लाई चेन पर प्रेशर पड़ेगा। इंटीग्रेटेड सर्किट डिजाइन और इससे जुड़े IP की डिमांड 2026 तक 30 प्रतिशत बढ़ सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बड़े डेटा सेंटर्स की कॉस्ट इस वर्ष लगभग एक अरब डॉलर से चार अरब डॉलर से बढ़कर पांच वर्षों में 10 अरब डॉलर से 25 अरब डॉलर पर पहुंच सकती है।
इस सेगमेंट में कंपनियां एक्सपेरिमेंटेशन के फेज से निकलकर अपने कामकाज में जेनरेटिव AI का इस्तेमाल बढ़ा रही हैं। भारत, जापान, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारें सॉवरेन AI पर सब्सिडी देने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं। इसके साथ ही ये सरकारें कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और AI मॉडल्स में इनवेस्टमेंट को बढ़ा रही हैं।
हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, Mukesh Ambani ने बताया था कि कंपनी अपने सभी बिजनेस में नई टेक्नोलॉजीज को जोड़ रही है। इससे कंपनी के प्रोडक्ट्स में सुधार होगा और थर्ड-पार्टीज पर इसकी निर्भरता को घटाया जा सकेगा। उन्होंने कहा था कि रिलायंस के सभी बिजनेस के लिए AI से जुड़ा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। इसके साथ ही अपना सॉफ्टवेयर स्टैक, एंड-टु-एंड वर्कफ्लो और रियल-टाइम डैशबोर्ड बनाए गए हैं। रिलायंस का दावा है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाने से वह निकट भविष्य में टॉप 30 इंटरनेशनल कंपनियों में शामिल हो सकती है। कंपनी की टेलीकॉम यूनिट Reliance Jio ने 5G और 6G टेक्नोलॉजीज में 350 से अधिक पेटेंट हासिल किए हैं। कुछ अन्य बड़ी कंपनियों ने भी इस सेगमेंट में अपना इनवेस्टमेंट बढ़ाया है।
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