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नींद की समस्या दूर करने के उपाय,- Neend ki samasya dur krne ke upay

bareillyonline.com by bareillyonline.com
14 September 2024
in न्यूज़
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पीसीओएस के कारण महिलाओं को पीरियड साइकल में अनियमितता, हेयरलॉस, फेशियल हेयर ग्रोथ और नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे महिलाओं के शरीर में एंड्रोजेन का सिक्रीशन बढ़ जाता है, जिसका असर नींद की गुणवत्ता पर दिखने लगता है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के मामले दिनों दिन तेज़ी से बढ़ रहे हैं। महिलाओं में प्यूबर्टी के दौरान बढ़ने वाली इस समस्या से हार्मोन असंतुलन बढ़ने लगता है। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में सीमित मात्रा से अधिक मेल हार्मोन रिलीज़ होने लगते है। इसके चलते पीरियड साइकल में अनियमितता (Irregular period cycle), हेयरलॉस (Hair loss), फेशियल हेयर ग्रोथ (facial hair growth) और नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को ओवरवेट का भी सामना करना पड़ता है। जानते है पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं की नींद की गुणवत्ता में क्यों पाई जाती है कमी (how to improve sleep with PCOS) ।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 15 से लेकर 44 साल की 26.7 फीसदी महिलाओं मे पीसीओएस की समसया पाई जाती है। एक अन्य रिसर्च के अनुसार पीसीओएस के 70 फीसदी मामलो का पता नहीं चल पाता है। पीसीओएस (Causes of PCOS) महिला के शरीर में ओवरीज़ को प्रभावित करता है। इसका असर रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर देखने को मिलता है, जो शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करते हैं। दरअसल, ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा ओवरीज़ एमेल हार्मोन एण्ड्रोजन को प्रोडयूस करते हैं।

PCOS ke kaaran
पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में स्लीप एपनिया विकसित होने का खतरा रहता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

पीसीओएस नींद को कैसे प्रभावित करता है (How PCOS affect sleep)

इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शिवानी सिंह बताती हैं कि पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में एंड्रोजेन का सिक्रीशन बढ़ जाता है। इसका असर नींद की गुणवत्ता पर दिखने लगता है। दरअसल, इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं में स्लीप एपनिया विकसित होने का खतरा रहता है। इससे नींद के दौरान बार. बार सांस लेना बंद करना, नींद में बाधा (Causes of sleeping disorder) और थकान बढ़ने लगती है। नींद पूरी न होना मोटापे का कारण बनने लगता है। पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं का 6 से 8 घंटे की नींद लेने का सुझाव दिया जाता है। नींद की गुणवत्ता में सुधार आने से पोलिसिसटिक सिंड्रोम को रिवर्स करने में मदद मिल जाती है। इससे एकाग्रता की कमी बढ़ने लगती है और मूड स्विंग का सामना करना (Tips to deal with mood swing) पड़ता है।

पूरी नींद लेने से शरीर में एनर्जी को रिस्टोर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा मसल्स की ग्रोथ में सुधार आने लगता है। साथ ही इम्यून सिस्टम को भी मज़बूती मिलती है। वे लोग जो डायबिटीज़ के शिकार है, उनके शरीर में डायबिटीज़ का स्तर उचित बना रहता है।

PCOS se kaise raahat paayein
नींद पूरी न होना मोटापे का कारण बनने लगता है। पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं का 6 से 8 घंटे की नींद लेने का सुझाव दिया जाता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

नींद की समस्या दूर रखने के लिए इन बातों का रखें ख्याल (Tips to deal with sleep problem)

1. कैफीन इनटेक से बचें

रात को सोने से कुछ घंटे पहले कैफीन और अल्कोहल के सेवन से बचें। इससे नींद की क्वालिटी में कमी आने लगती है। इसके अलावा कैफीन के सेवन से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जो तनाव का कारण बनने लगता है। इससे नींद न आने की समस्या बढ़ सकती है।

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2. सोने और उठने का समय तय करें

नींद न आने के बावूजद भी नियमित समय पर सोने का प्रयास करें। इससे शरीर अपने आप को समय के अनुसार ढालने लगता है और नींद में सुधार आने लगता है। इससे शरीर में हार्मोन बैलेंस में सुधार आने लगता है और शरीर एक्टिव रहता है।

3. नैप लेने से बचें

दिन के वक्त देर तक सोना रात में नींद न आने का मुख्य कारण साबित होता है। अपने स्लीप रूटीन को फॉलो करने के लिए दिन में देर तक सोने से बचें और स्मॉल नैप लें। इसके शरीर में बढ़ने वाले आलस्य की समस्या से बचा जा सकता है।

4. एंटी इन्फ्लेमेटरी फूड्स ले

हेल्दी आहार लें और मील में एंटी इन्फ्लेमेटरी फूड्स को शामिल करें। इससे बेहतर नींद पाने के साथ शरीर में बढ़ने वाले मोटापे से भी बचा जा सकता है। आहार में ऑयली और फ्राइड फूड के अलावा शुगरी ड्रिंक्स को भी लेने से बचें।

Healthy meal se neend ki samasya hal ho skti hai
मील में एंटी इन्फ्लेमेटरी फूड्स को शामिल करें। इससे बेहतर नींद पाने के साथ शरीर में बढ़ने वाले मोटापे से भी बचा जा सकता है।

5. शरीर को एक्टिव रखें

व्यायाम के लिए समय निकालें। इससे वज़न को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। एक्सरसाइज़ करने से न केवल कैलोरी स्टोरज से बचा जा सकता है बल्कि डायबिटीज़ का स्तर भी शरीर में नियंत्रित रहता है।

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