• Whatsapp
  • Phone
  • Bareilly News
  • Bareilly Business
  • Register
  • Login
  • Add Post
Home न्यूज़

Pitru Paksha 2024 Tarpan: पितृपक्ष में कैसे और कहां करें तर्पण, बता रहे हैं पंडित गिरीश व्यास

bareillyonline.com by bareillyonline.com
10 September 2024
in न्यूज़
4 0
0
6
SHARES
36
VIEWS
WhatsappFacebookTwitterThreads

[ad_1]

महाभारत, पद्मपुराण के अलावा अन्य स्मृति ग्रंथों में पितृ पक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, पितरों की आत्मा जब तृप्त हो जाती है, तो वह जाते हुए सुख शांति का आशीर्वाद देकर जाती है। उनके जानिए कैसे और कहां करना चाहिए तर्पण।

By Shashank Shekhar Bajpai

Edited By: Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Tue, 10 Sep 2024 07:00:00 AM (IST)

Updated Date: Tue, 10 Sep 2024 07:20:01 AM (IST)

Pitru Paksha 2024 Tarpan: पितृपक्ष में कैसे और कहां करें तर्पण, बता रहे हैं पंडित गिरीश व्यास
तर्पण करने से घर-परिवार में शांति होती है। व्यवसाय और आजीविका बढ़ती है। – फोटो प्रतीकात्मक।

HighLights

  1. श्राद्ध पक्ष में 15 दिनों के लिए पूर्वजों की आत्मा आती है धरती पर।
  2. उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है तर्पण।
  3. पितरों के निमित्त कोई कर्म नहीं करने से आत्मा होती है दुखी।

शशांक शेखर बाजपेई, धर्म डेस्क। Shradh Tarpan Vidhi: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के बाद पितरों का विशेष स्थान और महत्व है। पितृ लोक में रहने वाली हमारे पूर्वजों की आत्मा अपनी मुक्ति और परिवार को आशीर्वाद देने के लिए श्राद्ध पक्ष में धरती पर आती हैं। इन 15 दिनों में उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण दिया जाता है।

इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि पितरों की आत्मा जब तृप्त हो जाती है, तो वह जाते हुए सुख शांति का आशीर्वाद देकर जाती है। वहीं, पितरों के निमित्त कोई कर्म नहीं करने से उनकी आत्मा दुखी होती है और परिवार को परेशानियों, दुर्घटनाओं आदि का सामना करना पड़ता है।

वह बताते हैं कि महाभारत, पद्मपुराण के अलावा अन्य स्मृति ग्रंथों में भी इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। पितृपक्ष में पितरों के निमित्त विधि-विधान से जो व्यक्ति श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। घर-परिवार में शांति होती है। व्यवसाय और आजीविका बढ़ती है।

पितृपक्ष में पहला श्राद्ध 17 सितंबर को

पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा से होती है और यह अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति और उनकी मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस बार 17 सितंबर 2024 से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है, जो दो अक्टूबर चलेगा। इस बार पितृपक्ष में 16 तिथियां रहेंगी।

17 सितंबर – पूर्णिमा का श्राद्ध

18 सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध

19 सितंबर – द्वितीय का श्राद्ध

20 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध

21 सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध

21 सितंबर – महा भरणी श्राद्ध

22 सितंबर – पंचमी का श्राद्ध

23 सितंबर – षष्ठी का श्राद्ध

23 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध

24 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध

25 सितंबर – नवमी का श्राद्ध

26 सितंबर – दशमी का श्राद्ध

27 सितंबर – एकादशी का श्राद्ध

29 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध

29 सितंबर – माघ श्रद्धा

30 सितंबर – त्रयोदशी श्राद्ध

1 अक्टूबर – चतुर्दशी का श्राद्ध

2 अक्टूबर – सर्वपितृ अमावस्या

नोट- जिन लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं हो, वो सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं।

इन जगहों पर करना चाहिए श्राद्ध

पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि सर्वोत्तम तो यह रहेगा कि पितृपक्ष में गया, गोदावरी, प्रयाग में श्राद्ध-तर्पण करना चाहिए। यदि ऐसा करने की स्थिति नहीं है, तो घर पर ही श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके लिए निम्न तरीके को अपनाना चाहिए।

  • सुबह स्नान करने के बाद पूरे घर की सफाई करें। घर में गंगाजल और गौमूत्र डालें।
  • श्राद्ध के लिए सफेद फूल, दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, और तिल जरूरी है।
  • दक्षिण की दिशा में मुंह करते हुए बांए घुटने को जमीन पर टेक लगाकर बैठ जाएं।
  • काला तिल, गाय का दूध, गंगाजल और पानी मिलाकर तांबे के लोटे में डाल लें।
  • तांबे के उस बर्तन में भरे जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ से ही तर्पण दें।
  • तर्पण ऐसे दें कि अग्र भाग से देव तर्पण, हाथों के बीच से ऋषि तर्पण और अंगूठे की और से पितृ तर्पण एक ही बर्तन में गिराना चाहिए।
  • यदि आपको कोई मंत्र आता हो, तो उसका जाप भी तर्पण देते हुए करना चाहिए।
  • यदि कोई मंत्र नहीं आता है, तो सूक्ष्म तर्पण में ‘ॐ भू: तृप्यताम, ॐ भूव: तृप्यताम, ॐ स्व: तृप्यताम’ 11 बार कहते हुए हुए पितरों का ध्यान करें।
  • पितरों के लिए गाय का दूध लेकर उससे खीर बनाएं और उसे अग्नि में अर्पण करें।
  • फिर गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए एक पत्ते पर भोजन सामग्री निकालें।
  • दक्षिण की तरफ मुंह करके कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें।
  • पितरों के लिए भोजन बनाएं। ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद दान दक्षिणा दें।
  • इसके बाद चार बार ब्राह्मण की परिक्रमा करें। फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।

[ad_2]

Source link

Trending Now

edit post
न्यूज़

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 30 जून 2025 को बरेली का दौरा करेंगी

2 weeks ago
edit post
न्यूज़

कांवड़ यात्रा और मोहर्रम की तैयारी

2 weeks ago
edit post
न्यूज़

बरेली में एक युवक ने पारिवारिक विवाद के चलते अपने पिता और सौतेले भाई को कार से कुचलकर मार डाला।

2 weeks ago
edit post
न्यूज़

BDA नया टाउनशिप बनेगा

2 weeks ago
No Result
View All Result
  • न्यूज़
  • एंटरटेनमेंट
  • स्पोर्ट्स
  • व्रत त्यौहार
  • ऑटोमोबाइल
  • हैल्थ
  • ब्लॉग
  • बरेली बिज़नेस
  • Contact

© 2025 Bareilly Online bareillyonline.

Go to mobile version