महाकाल की नगरी उज्जैन में दो सितंबर को पांच लाख से ज्यादा भक्त पहुंचने वाले हैं। सोमवती अमावस्या पर शाही सवारी के योग के चलते यह दिन विशेष महत्व का हो गया है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि यह तिथि पितरों के निमित्त दान, धर्म करने के लिए और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष है।
By Shashank Shekhar Bajpai
Edited By: Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Sat, 24 Aug 2024 01:42:10 PM (IST)
Updated Date: Sat, 24 Aug 2024 05:13:58 PM (IST)
HighLights
- इस तिथि में गुरु का केंद्र-त्रिकोण संबंध 12 साल बाद बन रहा।
- सोमवती अमावस्या पर शिप्रा और सोमकुंड में पर्व स्नान होगा।
- शाही ठाठ-बाट के साथ महाकाल की शाही सवारी निकलेगी।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी पर 2 सितंबर को सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। विशिष्ट योग नक्षत्र की साक्षी में आ रही सोमवती अमावस्या पर सुबह शिप्रा और सोमकुंड में पर्व स्नान होगा।
शाम को शाही सवारी देखने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ेगा। महापर्व पर करीब पांच लाख भक्तों के शहर आने का अनुमान है। इसी के मद्देनजर प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने उस दिन के पंचांग के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि पंचांग की गणना के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 2 सितंबर को सोमवार के दिन मघा नक्षत्र, शिव योग की साक्षी में आ रही है। इसी दिन शाही ठाठ-बाट के साथ भगवान महाकाल की शाही सवारी निकलेगी।
पितरों के लिए करें तर्पण, दान और धर्म
यह तिथि लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष मानी जाती है। इस बार सोमवती अमावस्या जिसे पिठोरी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, श्रेष्ठ योग के साथ आ रही है। इन योगों में पितरों और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
यह अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में आ रही है। यह धर्म अध्यात्म एवं तपस्या के फल को प्रदान करने वाली अमावस्या है। इस दिन धर्म कार्य जैसे पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, देवी पूजन आदि विधि विधान से करना चाहिए।
12 वर्ष में बनता है इस प्रकार का संयोग
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के योगों का बड़ा उल्लेख बताया गया है। उनकी गणना गणितीय पक्ष को दर्शाती है कि किस समय किस प्रकार के ग्रह का कौन सी राशि में प्रवेश हो रहा है और गोचर काल में उस ग्रह की साक्षी में कौन-कौन से पर्व काल आते हैं।
इस बार सोमवती अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में आ रही है। बृहस्पति को धर्म का कारक ग्रह बताया गया है। वहीं धन, ऐश्वर्य एवं संतान की वृद्धि और संतान की उत्पत्ति के लिए भी इस अमावस्या को विशेष माना जाता है। पितरों के निमित्त इस दिन का विशेष प्रयोग किया जा सकता है।
सिंह राशि के सूर्य-चंद्र की युति श्रेष्ठ
ग्रह गोचर में सूर्य व चंद्र ग्रह का सिंह राशि में परिभ्रमण और मघा नक्षत्र पर संचरण विशेष रूप से साक्षी को दर्शाता है। यह स्थिति भी पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ और अनुकूल बताई जाती है। उनके निमित्त धर्म, दान करना चाहिए।
यही नहीं, मध्य रात्रि में भगवती लक्ष्मी की साधना भी इस स्थिति का पूर्ण फल प्रदान करने में सक्षम है। इस दृष्टि से भी मनोनुकूल साधना करनी चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है और घर में सुख-समृद्धि मिलती है।