Difference Between Toilet Soap and Bathing Bar: भारत में ही नहीं, दुनियाभर में नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए कुछ लोग ऑर्गेनिक साबुन तो कुछ लोग फोमी और कैमिकल युक्त साबुन का इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर लोग नहाने के लिए बाथिंग बार का इस्तेमाल करते हैं। तो कुछ लोग टॉयलेट सोप और बाथिंग बार के बीच कंफ्यूज रहते हैं। दरअसल, टॉयलेट सोप आमतौप पर लौंडरी यानि कपड़े या जूते धोने में काम आता है। आइये डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर सरीन से समझते हैं टॉयलेट सोप और बाथिंग बार के बीच के अंतर के बारे में।
टॉयलेट सोप और बाथिंग बार के बीच क्या अंतर है?
टॉयलेट सोप आमतौर पर मलत्याग करने के बाद हाथों को साफ करने या कपड़ों, जूते आदि साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर लोग इस साबुन को त्वचा पर इस्तेमाल करते हैं या इससे हाथों को साफ करते हैं। लेकिन इसका इस्तेमाल त्वचा पर करने की सलाह बिलकुल नहीं दी जाती है। मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड डिस्ट्रि्यूशन के मुताबिक इसमें 60 से 70 प्रतिशत तक फैटी मैटर होता है, जो त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है।
बाथिंग बार क्या है?
बाथिंग बार आमतौर पर नहाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें सिंडेड बार के नाम से भी जाना जाता है। इसमें फैटी मैटर 60 प्रतिशत से कम होता है। बाथिंग बार का पीएच लेवल आपकी त्वचा के पीएच लेवल से मिलता-जुलता या उसके काफी करीब होता है। इसमें मॉइश्चुराइजिंग गुण पाए जाते हैं, जो न सिर्फ त्वचा को मॉइश्चराइज करते हैं, बल्कि हाइड्रेट रखने में भी मददगार साबित होते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आप साबुन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कोशिश करें कि बाथिंग बार का ही इस्तेमाल करें।
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टॉयलेट सोप का इस्तेमाल करने के नुकसान
- टॉयलेट सोप का इस्तेमाल करना त्वचा के लिए कई तरीकों से हानिकारक हो सकता है।
- इसमें एलकलाइन की मात्रा होती है, जो त्वचा को ड्राई बना सकती है।
- इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से त्वचा पर रिंकल्स हो सकते हैं।
- अगर आप त्वचा से जुड़ी किसी पुरानी समस्या से परेशान हैं तो इसका इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।