Byju’s Crisis: नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT), एडटेक स्टार्टअप Byju’s के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर चुका है। अब संभावना है कि Byju’s की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के अमेरिकी ऋणदाता, इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। इसे देखते हुए Byju’s के फाउंडर बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि कोर्ट कोई भी फैसला लेने से पहले उनकी बात सुने। बायजू रवींद्रन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका 3 अगस्त को दायर की गई।
बता दें कि जुलाई महीने में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को 158.9 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान न कर पाने के चलते Byju’s के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का फैसला दिया था और एक इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) नियुक्त किया था। NCLT ने साथ ही कंपनी के बोर्ड को भी सस्पेंड कर दिया था और इसकी संपत्ति को जब्त कर दिया था। इसके बाद स्टार्टअप के पूर्व मैनेजमेंट ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी और अब NCLAT ने दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया है। साथ ही BCCI के साथ Byju’s के समझौते को मंजूरी दी है। हालांकि इस चेतावनी के साथ कि भुगतान करने में कोई भी विफलता स्टार्टअप के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को दोबारा शुरू कर देगी।
क्या हुआ है समझौता
Byju’s ने अतीत में भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर किया था। स्टार्टअप, BCCI को 158 करोड़ रुपये का स्पॉन्सरशिप बकाया नहीं चुका सका था। समझौते के अनुरूप बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने 31 जुलाई को BCCI को 50 करोड़ रुपये और शुक्रवार, 2 अगस्त को 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया। बाकी 83 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिए 9 अगस्त को जमा किए जाएंगे। Byju’s के अमेरिकी ऋणदाताओं ने समझौते पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया था कि रवींद्रन, BCCI के साथ समझौता करने के लिए उनसे चुराए गए पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन Byju’s ने कहा है कि BCCI के बकाया भुगतान को लेकर 159 करोड़ रुपये शेयर बिक्री के जरिए जुटाए गए हैं और उस पर उचित टैक्स का भुगतान किया गया है। बायजू रवींद्रन और कंपनी के अन्य पूर्व प्रमोटर्स की तरफ से पेश वकीलों ने NCLAT को सौंपे हलफनामे में भुगतान किए जाने वाले 158.9 करोड़ रुपये के स्रोत की जानकारी दी है।
चूंकि बायजू रवींद्रन कर्नाटक हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार अपनी किसी भी व्यक्तिगत संपत्ति को अलग नहीं कर सकते, इसलिए उनके भाई रिजू रवींद्रन ने BCCI को 158 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। रिजू ने अदालत को बताया कि वह BCCI को जो पैसा दे रहे हैं, वह उनके व्यक्तिगत फंड से है, जो 2015 और 2022 के बीच थिंक एंड लर्न के शेयरों की बिक्री से जनरेट हुआ था।
कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में रखने का अब कोई कारण नहीं
NCLAT ने कहा कि यह समझौता ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के गठन से पहले किया जा रहा है और यह देखते हुए कि समझौते के लिए इस्तेमाल किए जा रहे पैसे का स्रोत विवाद में नहीं है, उसके पास कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में रखने का कोई कारण नहीं है। NCLAT के आदेश के बाद बायजू रवींद्रन के पास फिर से कंपनी का नियंत्रण आ गया है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी), 2016 के अनुसार अगर किसी कंपनी को दिवाला समाधान प्रक्रिया में डाला जाता है, तो कंपनी का नियंत्रण मौजूदा बोर्ड से छीन लिया जाता है।