शिव भक्तों के लिए सावन शिवरात्रि बहुत बड़ा दिन है। कांवड़ यात्री गंगाजल या पवित्र नदियों का जल लेकर सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अर्पित करेंगे। अधिकतर श्रद्धालु सावन की त्रयोदशी तिथि यानी कि सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। इस साल की सावन शिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 31 Jul 2024 12:03:32 PM (IST)
Updated Date: Wed, 31 Jul 2024 12:03:32 PM (IST)
HighLights
- कांवड़ यात्रा के लिए सावन शिवरात्रि पर्व महत्वपूर्ण होता है।
- इस साल सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाने वाली है।
- शिवरात्रि पर जलाभिषेक के बाद कांवड़ यात्रा पूरी होती है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Sawan Shivratri 2024: इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इसकी शुरुआत 22 जुलाई से हुई है, जो कि 19 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कांवड़ यात्रा निकाली जाती है।
कांवड़ यात्रा के लिए सावन शिवरात्रि का पर्व महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन कावड़ यात्री भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कांवड़ियों के लिए महत्वपूर्ण सावन शिवरात्रि
यदि इस दिन विवाहित लोग शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं, तो उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। वहीं कुंवारे लोग जलाभिषेक करते हैं, तो उन्हें मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। सावन का महीना पूरी तरह से उत्सव भरा होता है। सावन शिवरात्रि पर ही कांवड़ यात्रा का जल चढ़ाया जाता है।
सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाने वाली है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3:26 से शुरू होगी, जो कि अगले दिन 3 अगस्त को दोपहर 3:50 पर समाप्त होगी। 2 अगस्त शुक्रवार को सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त रात 12:06 से रात 12:49 बजे तक रहेगा।
सावन माह के किसी भी दिन जलाभिषेक किया जा सकता है, लेकिन कांवड़ियों के लिए जलाभिषेक के लिए सावन शिवरात्रि का दिन खास होता है। इस दिन में वे अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्री हरिद्वार, काशी, विश्वनाथ, गोमुख, गंगोत्री, बैद्यनाथ जैसे पवित्र स्थान से गंगाजल लेने के लिए निकलते हैं। फिर शिवरात्रि को अपने-अपने शहर निकल जाते हैं और शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं।
19 अगस्त तक चलेगी कांवड़ यात्रा
- माना जाता है कि जो लोग कांवड़ यात्रा करते हैं, उन्हें भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए गंगाजल लेकर अपने आसपास के शिव मंदिरों में शिवरात्रि के दिन किसी भी हाल में पहुंचना होता है।
- सावन शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक के बाद ही कांवड़ यात्रा पूरी होती है और उसका शुभ फल मिलता है।
- हालांकि, कांवड़ यात्रा सावन शिवरात्रि के बाद भी जारी रहती है, जो लोग सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का जलाभिषेक नहीं कर पाते हैं, वे सावन मास की पूर्णिमा तक शिवलिंग का जलाभिषेक कर सकते हैं।
- कांवड़ यात्रा 19 अगस्त तक चलेगी। 19 अगस्त का दिन कावड़ यात्रा के लिए अंतिम दिन होगा।
सुविधा के अनुसार चढ़ा सकते हैं जल
वैसे तो कांवड़ का जल चढ़ाने के लिए सावन का हर दिन शुभ माना जाता है, लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार कांवड़ का जल चढ़ा सकते हैं। अधिकतर श्रद्धालु सावन की त्रयोदशी तिथि यानी कि सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं।
सावन महीने में शिव भक्त गंगा तट पर जाकर कलश में गंगाजल भरते हैं। फिर उसे अपनी कांवड़ पर बांधकर कंधों पर लटका कर अपने स्थान के शिवालयों में ले जाते हैं और यहां शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
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