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Sawan 2024: रेत के शिवलिंग का अभिषेक करने उमड़ते हैं श्रद्धालु, मप्र में चंदन नदी किनारे है यह मंदिर

bareillyonline.com by bareillyonline.com
25 July 2024
in बरेली न्यूज़
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रामपायली में चंदन नदी किनारे बने मंदिर के पास शरभंग ऋषि के तप करने का भी उल्लेख भी रामायण में मिलता है। यहां पर उनका आश्रम भी विराजित हैं। मंदिर के पुजारी रविशंकर दास वैष्णव के अनुसार मंदिर में बालू वाला शिवलिंग वर्ष 1875 में अस्तित्व में आया। यहां सावन मास भर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ लगती है।

By Guneshwar Sahare

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Publish Date: Thu, 25 Jul 2024 11:24:53 AM (IST)

Updated Date: Thu, 25 Jul 2024 12:48:57 PM (IST)

Sawan 2024:  रेत के शिवलिंग का अभिषेक करने उमड़ते हैं श्रद्धालु, मप्र में चंदन नदी किनारे है यह मंदिर
पहला फाइल चित्र मंदिर मेंं श्रद्धालुओं का। दूसरे चित्र में बालू के शिवलिंग।

HighLights

  1. मध्‍य प्रदेश के बालाघाट जिले के रामपायली में है मंदिर।
  2. श्रीराम बालाजी मंदिर में विराजित है बालू का शिवलिंग।
  3. मंदिर में रोज बालू के शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है।

नईदुनिया प्रतिनिधि, रामपायली/बालाघाट। बालाघाट जिले में वारासिवनी तहसील अंतर्गत रामपायली के चंदन नदी किनारे श्रीराम बालाजी मंदिर स्थित है। यहां के मंदिर जिले में ही अपितु महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में प्रख्यात हैं। मंदिर में वैसे तो साल भर श्रद्धालुगण आते हैं। इसके अलावा पिंडदान, मुंडन व कढ़ाई करने के लिए आना-जाना लगा रहता है, परंतु सावन मास में रोजाना श्रद्धालु बालू यानी रेत के शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं। यहां शिवभक्त प्रत्येक साेमवार को कांवड़ लेकर जल चढ़ाने आते हैं। इस बार भी सावन के पहले सोमवार को बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी रही। मंदिर में रोज बालू के शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है।

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ऐसा है इतिहास

मंदिर के पुजारी रविशंकर दास वैष्णव के अनुसार मंदिर में बालू वाला शिवलिंग वर्ष 1875 में अस्तित्व में आया। बालू का शिवलिंग चंदन नदी किनारे श्रीराम बालाजी में मंदिर में है। इस मंदिर में बालू का शिवलिंग होने से सावन मास भर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ लगती है। शिवलिंग को जलाभिषेक करने के बाद श्रद्धालु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण व लंगड़े हनुमान जी, माता सती के दर्शन भी करते हैं।

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यह है विशेषता

मंदिर में विराजित बालू का शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। जो श्रद्धालु काल सर्प पूजन करने के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन नहीं जा पाते , ऐसे श्रद्धालु यहां पर काल सर्प पूजन कर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। इस मंदिर के पास शरभंग ऋषि के तप करने का भी उल्लेख रामायण में मिलता है, यहां पर उनका आश्रम भी विराजित हैं।

श्रीराम की नगरी रामपायली में चंदन नदी किनारे ऐतिहासिक श्रीराम बालाजी मंदिर है। यहां पर बालू का शिवलिंग है। सावन मास भर भक्तगण जलाभिषेक करते है और सावन सोमवार को पूजा-अर्चना करने अधिक भीड़ रहती है।

रमेश रनगिरे, समाजसेवी

रामपायली में चंदन नदी किनारे श्रीराम बालाजी मंदिर है। इस मंदिर में सावन मास में कांवड़‍िए समेत अन्य भक्तगण जल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करते है। जो भक्तगण महाकाल की नगरी उज्जैन में काल सर्प पूजन करने नहीं जाते है। ऐसे लोग यहां आकर काल सर्प पूजन करवाते हैं। मंदिर में साल भर जिले समेत छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के अलावा अन्य प्रदेशाें से श्रद्धालुगण आते हैं।

रविशंकर दास वैष्णव, पुजारी, श्रीराम बालाजी मंदिर रामपायली

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