मुंबई54 मिनट पहले
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सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने एक नया इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट ‘न्यू एसेट क्लास’ लाने का प्रस्ताव दिया है। इसमें निवेशक मिनिमम 10 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक निवेश कर सकेंगे।
इसके जरिए SEBI म्यूचुअल फंड, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIF) के बीच के अंतर को खत्म करना चाहती है। अभी PMS में मिनिमम 50 लाख और AIF में मिनिमम 1 करोड़ रुपए निवेश करने होते हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में सिर्फ 100 रुपए से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।
अभी नए प्रोडक्ट का नाम तय नहीं
अभी तक नए प्रोडक्ट का नाम नहीं रखा गया है। नए एसेट क्लास में पहले से उपलब्ध ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स से अलग पहचान बनाने के लिए एक अलग नाम दिया जाएगा। इसमें सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, सिस्टेमैटिक विड्रॉल प्लान और सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान भी पेश किया जाएगा।
निवेश के नए प्रोडक्ट में होगा ज्यादा रिस्क
SEBI का कहना है कि निवेश के नए प्रोडक्ट में ज्यादा पैसा लगाना होगा और ज्यादा रिस्क भी रहेगा। ये इसलिए लाया जा रहा है ताकि लोग रिस्क वाले गलत निवेश ना करें। नया तरीका ना तो म्यूचुअल फंड जैसा होगा ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट जैसा, बल्कि दोनों के बीच का रास्ता होगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, SEBI को लगता कि अभी कोई ऐसा निवेश का तरीका नहीं है, जिसमें थोड़ा ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा कमाई की जा सके। इसी का फायदा उठाकर ज्यादा मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठग लिया जाता है।
इसलिए SEBI नया प्रोडक्ट ला रही है, जो म्यूचुअल फंड के जैसा ही होगा, लेकिन इसमें ज्यादा रिस्क होगी। इसमें शेयर बाजार के कुछ ऐसे तरीकों का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा जो आम तौर पर म्यूचुअल फंड में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
निवेश के नए प्रोडक्ट को कौन सी कंपनियां पेश कर सकेंगी?
SEBI के अनुसार, निवेश के इस नए प्रोडक्ट को वही कंपनियां पेश कर सकेंगे, जो कम से कम 3 साल से चल रही हैं। वहीं उनके पास ₹10 हजार करोड़ से ज्यादा के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) को संभालने का एक्सपीरियंस हो।
हालांकि, अगर कोई कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करते तब भी इसके लिए आवेदन कर सकती है। इसके लिए उस कंपनी को ऐसे चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जिसके पास कम से कम 10 साल का फंड मैनेजमेंट एक्सपीरियंस हो और ₹5 हजार करोड़ से ज्यादा के AUM संभाल चुके हों।
इसके साथ ही एक ऐसे फंड मैनेजर की नियुक्ति भी करनी होगी जिसके पास कम से कम 7 साल का फंड मैनेजमेंट एक्सपीरियंस हो और ₹3 हजार करोड़ से ज्यादा का AUM संभाल चुके हों।