सड़क कार्यों के लिये हरित निधि का उपयोग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) वायु प्रदूषण से निपटने के लिये निर्धारित धनराशि का उपयोग सड़क मरम्मत और पक्की सड़क निर्माण कार्यों हेतु कर रहा है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने धन के इस दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है तथा इसे संभावित रूप से “घोर दुरुपयोग और गंभीर वित्तीय अनियमितता” बताया है।
सड़क निर्माण कार्यों हेतु CPCB द्वारा ग्रीन फंड के उपयोग का मुद्दा क्या है?
- विचाराधीन फंड:
- पर्यावरण संरक्षण शुल्क (EPC): वर्ष 2016 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर, दिल्ली- NCR में 2000 CC या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले डीज़ल वाहनों पर 1% शुल्क के रूप में वसूला जाता है।
- पर्यावरण क्षतिपूर्ति (EC): NGT द्वारा लगाए गए मुआवज़े से एकत्रित और CPCB द्वारा प्रबंधित।
- ये फंड वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के विशिष्ट उद्देश्य से बनाए गए थे। हालाँकि सड़क निर्माण के लिये उनके हालिया उपयोग ने कानूनी जाँच को जन्म दिया है।
- CPCB का औचित्य: CPCB का तर्क है कि सड़क की मरम्मत और पक्की सड़क बनाने का कार्य सीधे तौर पर धूल प्रदूषण को कम करने में योगदान देता है, जो शहरी क्षेत्रों में खराब वायु गुणवत्ता के लिये महत्त्वपूर्ण कारण है।
- उनका दावा है कि यह वित्तपोषण दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP) 2019 के अनुरूप है, जो स्वच्छ वायु नगर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये एक अभिसरण मॉडल को अपनाता है।
- सीपीसीबी का कहना है कि वह इन निधियों का उपयोग वायु गुणवत्ता सुधार परियोजनाओं के लिये अंतराल वित्तपोषण के रूप में करता है, जब उन्हें अन्य योजनाओं द्वारा समर्थन नहीं मिलता है।
- CPCB ने आठ सड़क परियोजनाओं के लिये गाज़ियाबाद नगर निगम को आवंटित 98.9 करोड़ रुपए की EPC निधि में से 15.9 करोड़ रुपए के वित्तपोषण के मामले को उजागर किया है तथा यह सुनिश्चित किया है कि किसी अन्य योजना से इन कार्यों का वित्तपोषण नहीं किया गया।
- प्रासंगिक समितियों द्वारा अनुमोदित यह आवंटन, वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु सड़क निर्माण कार्यों के लिये CPCB द्वारा धन के उपयोग को दर्शाता है।
- उनका दावा है कि यह वित्तपोषण दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP) 2019 के अनुरूप है, जो स्वच्छ वायु नगर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये एक अभिसरण मॉडल को अपनाता है।
- NGT की चिंताएँ और जाँच: NGT वायु गुणवत्ता सुधार निधि को सड़क मरम्मत में लगाने के कारण संभावित दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं के बारे में चिंतित है।
- यदि CPCB यह प्रथा जारी रखता है, तो अन्य नगर निकाय भी इसी प्रकार के आवंटन की मांग करेंगे, जिससे निष्पक्षता और निधि उपयोग संबंधी मुद्दे उठेंगे।
- NGT को अभी इन निधियों के उपयोग की अनुमति पर निर्णय लेना है, यह निर्णय CPCB द्वारा निधियों के भविष्य के उपयोग को भी प्रभावित करेगा और पर्यावरण संरक्षण तथा बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं पर नीतिगत निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त, इस मुद्दे पर 53 शहरों में खराब वायु गुणवत्ता के संदर्भ में विचार किया जाएगा तथा संभवतः इसे व्यापक वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीतियों से जोड़ा जाएगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- स्थापना एवं कानूनी ढाँचा: CPCB एक वैधानिक संगठन है जिसका गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था। इसे वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत कार्य सौंपा गया था।
- यह पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।
- मुख्य कार्य:
- जल प्रदूषण: जल प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के द्वारा नदियों तथा कुओं की सफाई को बढ़ावा देना।
- वायु प्रदूषण: देश में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण या कमी करके वायु गुणवत्ता में सुधार करना।
- वायु गुणवत्ता निगरानी:
- राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (National Air Monitoring Programme – NAMP): वायु गुणवत्ता की स्थिति और प्रवृत्तियों का निर्धारण करने, विभिन्न स्रोतों से प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा औद्योगिक स्थलों एवं नगर नियोजन के लिये आँकड़े उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया।
- निगरानी केंद्र: नई दिल्ली में आईटीओ चौराहे पर स्वचालित निगरानी स्टेशन नियमित रूप से निम्नलिखित की निगरानी करता है: श्वसनीय निलंबित कण पदार्थ (RSPM), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओज़ोन (O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और निलंबित कण पदार्थ (SPM)।
- जल गुणवत्ता निगरानी: जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का उद्देश्य जल निकायों की संपूर्णता को बनाए रखना और बहाल करना है। CPCB जल प्रदूषण से संबंधित तकनीकी तथा सांख्यिकीय डेटा एकत्र करता है, उनका मिलान करता है एवं उनका प्रसार करता है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण:
- पर्यावरण मामलों के त्वरित समाधान, कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन और नुकसान के लिये राहत प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत NGT की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी।
- इसके पास पर्यावरण संबंधी विवादों से निपटने में विशेषज्ञता है और यह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 से बंधा नहीं है, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा।
- न्यायाधिकरण का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी त्वरित न्याय प्रदान करना तथा उच्च न्यायालयों पर बोझ कम करना है तथा इसके अंतर्गत 6 महीने के भीतर मामलों का निपटारा करना है।
- न्यायाधिकरण के पास अपने स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करने का अधिकार है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो निर्णय को 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
- न्यायाधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
उत्तर: (b)
प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 भारत के संविधान के निम्नलिखित में से किस प्रावधान के अनुरूप बनाया गया था? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
उत्तर: (a)
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