आषाढ़ गुप्त नवरात्रि वृद्धि योग में 6 जुलाई शनिवार से प्रारंभ हो रही है।नवरात्र में मां दुर्गा के 10 महाविद्यायों की पूजा होती है।इस बार नवरात्र नौ दिन न होकर 10 दिन की होगी।इस बार घोड़े पर सवार होकर आएगी माता। गुप्त नवरात्र का देवी की साधना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। नवरात्र में नगर के प्रमुख देवी मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गईं है।
By Jogendra Sen
Publish Date: Sat, 06 Jul 2024 12:15:21 PM (IST)
Updated Date: Sat, 06 Jul 2024 11:14:38 PM (IST)
HighLights
- मंदिरों में देवी की प्रतिमाओं का सौलह श्रृंगार किया जायेगा
- गुप्त नवरात्र का देवी की साधना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं
- देवी के साधक घटस्थापना के साथ नौ दिन के व्रत धारण करेंगे
नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर।आषाढ़ गुप्त नवरात्रि वृद्धि योग में 6 जुलाई शनिवार से प्रारंभ हो रही है।नवरात्र में मां दुर्गा के 10 महाविद्यायों की पूजा होती है।इस बार नवरात्र नौ दिन न होकर 10 दिन की होगी।इस बार घोड़े पर सवार होकर आएगी माता।
गुप्त नवरात्र का देवी की साधना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। नवरात्र में नगर के प्रमुख देवी मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गईं है। मंदिरों में सुबह आदिशक्ति का सोलह श्रृंगार के साथ दिव्य श्रृंगार किया जायेगा। इसके साथ ही कुछ मंदिरों नवरात्र में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जायेगी। हालांकि गृहस्थ गुप्त नवरात में कम ही साधना करते हैं। देवी के साधक घटस्थापना के साथ नौ दिन के व्रत धारण करेंगे।
10 दिन की होंगी नवरात
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 10 दिनों की होगी, ऐसा चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने के कारण होगा। जो कि 15 जुलाई तक रहेगी। इस दौरान लोग मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि देवी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही यह दिन तंत्र विद्या के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।साथ ही यह साधना गुप्त रूप से की जाती है। मान्यता है कि अगर कोई साधक अपनी साधना को किसी दूसरे व्यक्ति को बता देता है, तो पूजा का फल नष्ट हो जाता है।आषाढ़
गुप्त नवरात्रि तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र की शुरुआत 6 जुलाई, दिन शनिवार को होगी। वहीं, इसका समापन 15 जुलाई, दिन सोमवार को होगा।वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 6 जुलाई सुबह 04 बजकर 25 मिनट पर आरंभ होगी और इसका अंत 7 जुलाई सुबह 04 बजकर 25 मिनट पर होगा।
घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
इसके साथ ही कलश की स्थापना 06 जुलाई सुबह 05 बजकर 11 मिनट से लेकर 07 बजकर 26 मिनट पर करना अच्छा होगा।वहीं अभिजीत मुहूर्त पर भी कलश स्थापना की जा सकती है, जो सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापित करना बेहद शुभ माना जाता है।
नगर के प्रमुख देवी मंदिरों में गुप्त नवरात की तैयारियां शुरु
नगर के प्रमुख बिरला नगर स्थित सिद्धपीठ तारादेवी पर नौ दिन तक अनुष्ठान किये जायेंगे। इसके अलावा मांढरे की माता, आमखो वाली काली माता, जिला कोर्ट के पास स्थित कालीमाता का मंदिर, पहाढ्या वाली माता, झांसी रोड पर स्थित वैष्णो देवी माता मंदिर में गुप्त नवरात में आदिशक्ति की पूजा अर्चना की तैयारी की जा रहीं हैं।
आषढ़ की अमावस्या पर पितरो को प्रसन्न करने के लिए की पूजा-अर्चना
आषढ़ की अमावस्या शुक्रवार को मनाई गई। नगर के प्रमुख मंदिरों में भगवान का आलोकिक श्रृंगार किया। अमावस्या पर पितरों की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं ने पीपल पर जल अर्पित कर दीपक जलाया। इसके साथ ही देवस्थानों पर सत्यनारायण की कथा की। श्रद्धालुओं ने अमावस्या पर सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य भी किया।