वाणिज्यिक बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता सुधरती जा रही है और कुल गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) का अनुपात मार्च 2024 के अंत में 2.8 फीसदी रह गया, जो 12 साल में सबसे कम है। यह अनुपात सितंबर 2023 में 3.2 फीसदी था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छमाही वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के मुताबिक शुद्ध एनपीए अनुपात भी इस दौरान 0.9 फीसदी से घटकर 0.6 फीसदी रह गया।
रिपोर्ट में स्ट्रेस टेस्ट के हवाले से कहा गया कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2025 तक बढ़कर 2.5 फीसदी हो सकता है। उधारी जोखिम के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट में पता चलता है कि सभी बैंक बहुत ज्यादा दबाव बोने पर भी पूंजी की न्यूनतम अनिवार्यता पूरी कर लेंगे।
रिपोर्ट कहती है, ‘भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने मजबूत व्यापार विस्तार के मद्देनजर पूंजी की स्थिति, संपत्ति की गुणवत्ता और लाभप्रदता में निरंतर सुधार किया है।’
रिपोर्ट में इसका भी जिक्र किया गया है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में निजी क्षेत्र के बैंकों के सकल एनपीए में 76 आधार अंक की भारी कमी आई है। इसमें कहा गया है, ‘सभी बैंक समूहों के सकल एनपीए में गिरावट आई है मगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों द्वारा सक्रियता से ज्यादा प्रोविजनिंग किए जाने के कारण मार्च 2024 में प्रोविजनिंग कवरेज अनुपात (76.4 फीसदी) में भी सुधार हुआ है।’
बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में व्यापक तौर पर बढ़ी है मगर कृषि क्षेत्र में नुकसान उच्चतम स्तर पर बना हुआ है। मगर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही के दौरान इसमें सुधार देखा गया।
स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों से पता चलता है कि अगर वृहद आर्थिक हालात खराब से बदतर हो तब भी सकल एनपीए अनुपात 3.4 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ेगा।
गंभीर दबाव की स्थिति में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2024 में 3.7 फीसदी से बढ़कर मार्च 2025 में 4.1 फीसदी हो सकता है।
निजी बैंकों के मामले में यह 1.8 फीसदी से बढ़कर 2.8 फीसदी हो सकता है और विदेशी बैंक में यह 1.2 फीसदी से बढ़कर 1.3 फीसदी तक पहुंच सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2024 में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी और जोखिम-भार संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) 16.8 फीसदी तथा कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात 13.9 फीसदी रहा।
असुरक्षित कर्ज और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कर्ज पर जोखिम भार बढ़ाए जाने से निजी बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात घटा है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जोखिम भार वाली संपत्तियों में वृद्धि ने निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के लिए कुल पूंजी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया और 2023-24 में प्रणाली स्तर पर सीआरएआर में 37 आधार अंक की गिरावट दर्ज की गई ।’
स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पास अच्छी पूंजी है और शेयरधारकों द्वारा आगे पूंजी निवेश नहीं हुआ तो भी वे वृहद आर्थिक झटके सहने में सक्षम हैं। 46 प्रमुख बैंकों का सीआएआर मार्च 2024 के 16.7 फीसदी से घटकर मार्च 2025 में 16.1 फीसदी रहने का अनुमान है।
मध्यम दबाव की स्थिति में मार्च 2025 तक यह 14.4 फीसदी तक घट सकता है और गंभीर दबाव के ममाले में यह 13 फीसदी रह सकता है, इसके बावजूद यह न्यूनतम पूंजी जरूरत से अधिक रहेगा।
First Published – June 27, 2024 | 10:17 PM IST