ज्येष्ठ माह में निर्जला एकादशी का भी व्रत आता है। निर्जला एकादशी के ठीक एक दिन पहले गंगा दशमी का व्रत आना विशेष प्रकार के संकल्प की सिद्धि देने वाला बताया गया है। इन योगों में भी शुभ मांगलिक कार्य करने से माता गंगा की कृपा प्राप्त होती है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 12 Jun 2024 02:06:27 PM (IST)
Updated Date: Wed, 12 Jun 2024 02:06:27 PM (IST)
HighLights
- गंगा अवतार के समय मौजूद थे यह दस विशेष योग।
- इस बार दशमी तिथि पर दस में से पांच योग रहेंगे।
- गंगा माता के आशीर्वाद से होती है वंश वृद्धि।
धर्म डेस्क, इंदौर। Ganga Dussehra 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर 16 जून को अमृत सिद्धि योग में गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर उत्सव होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव माता शिप्रा की पूजा अर्चना के बाद सौभाग्य सामग्री अर्पित करेंगे और 371 फीट की चुनरी ओढ़ाएंगे। भजन संध्या सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि रविवार के दिन हस्त नक्षत्र, वरियान योग, तैतिल करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। रविवार के दिन हस्त नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।
शास्त्रों में इस योग को बहुत महत्व दिया गया है। अमृत सिद्धि योग में धर्म अध्यात्म से संबंधित कार्य में अनुकूलता के साथ-साथ कल्याण की प्राप्ति होती है। इस दिन किया गया धार्मिक अनुष्ठान अमृतमय हो जाता है, यानी अक्षय हो जाता है। इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
गंगा दशहरा पर 10 योग की मान्यता
धर्मशास्त्र के अनुसार, गंगा अवतार के समय यह दस विशेष योग मौजूद थे। इनमें पहला ज्येष्ठ मास, दूसरा शुक्ल पक्ष, तीसरा दशमी तिथि, चौथा बुधवार, पांचवा हस्त नक्षत्र, छठा व्यतिपात योग, सातवां गर करण, आठवां आनंद योग, नवां कन्या का चंद्रमा तथा दसवां वृषभ राशि का सूर्य की स्थिति थी।
इस बार दस में से पांच योग विद्यमान रहेंगे
पंचांग की गणना के अनुसार देखें, तो इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दस में से पांच योग रहेंगे। इनमें ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र तथा कन्या राशि का चंद्रमा की उपस्थिति रहेगी। इन योगों में भी मांगलिक कार्य करने से दोषों की निवृत्ति होती है। साथ ही गंगा माता के आशीर्वाद से वंश वृद्धि होती है।
तीर्थ पर करें पूजन और दान
हिन्दू माह गणना में ज्येष्ठ मास को बारह माह में सबसे बड़ा माना गया है। बड़े माह में किया गया दान विशेष फल प्रदाता माना गया है। शास्त्रीय मान्यता में देखें, तो इस दिन गंगा माता का विधिवत पूजन तथा देव ऋषि पितरों का तर्पण करना चाहिए।
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