भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति बनाने और बैंकों को विनियमित करने की दोहरी भूमिका निभाता है। सोमवार को आरबीआई अपने 90वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। इस अवसर पर मुंबई के नैशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में होने वाले एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे। अप्रैल 2015 के बाद आरबीआई के किसी कार्यक्रम में मोदी की यह पहली भागीदारी होगी। उन्होंने आरबीआई की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित वित्तीय समावेशन सम्मेलन में भाग लिया था। आरबीआई के 90 वर्षों के सफर का जायजा ले रहे हैं मनोजित साहा:
रिजर्व बैंक ने हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों के आधार पर 1 अप्रैल 1935 को अपना परिचालन शुरू किया था। सर ओसबोर्न स्मिथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे और उनका कार्यकाल 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937 के बीच रहा। उन्होंने एक पेशेवर बैंकर के तौर पर बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स में करीब 20 वर्षों तक काम किया था। इसके अलावा उन्होंने कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में भी 10 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी थीं। उसके बाद 1926 में वह इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजिंग गवर्नर के रूप में भारत आए थे। आरबीआई अन्य तमाम केंद्रीय बैंकों के विपरीत एक फुल सर्विस केंद्रीय बैंक है।
शुरू में आरबीआई ने कृषि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही योजना अवधि की शुरू होने पर आरबीआई ने विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त के उपयोग की अवधारणा को आगे बढ़ाया। उसने देश में वित्तीय बुनियादी ढांचा विकसित करने के क्रम में निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक जैसे कई संस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
साल 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के साथ ही आरबीआई का ध्यान मुख्य तौर पर मौद्रिक नीति, बैंकों के पर्यवेक्षण एवं विनियमन, भुगतान प्रणाली की देखरेख और वित्तीय बाजारों के विकास जैसे केंद्रीय बैंकिंग कार्यों पर केंद्रित हो गया।
प्रमुख तथ्य
बर्मा (म्यांमार) 1937 में भारत संघ से अलग हो गया, मगर आरबीआई ने बर्मा पर जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल 1947 तक बर्मा के केंद्रीय बैंक के रूप में काम करना जारी रखा। भारत के विभाजन के बाद आरबीआई ने जून 1948 तक यानी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का परिचालन शुरू होने तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य किया।
भारतीय सिविल सेवा के सदस्य सर बेनेगल रामा राव ने अगस्त 1949 से जनवरी 1957 के बीच सबसे लंबे समय तक आरबीआई के गवर्नर के तौर पर अपनी सेवाएं दी।
मनमोहन सिंह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे और वह देश के वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री (2004 से 2014) भी बने। ऊर्जित पटेल 2018 में पिछले 43 वर्षों में इस्तीफा देने वाले पहले आरबीआई गवर्नर थे।
शक्तिकांत दास आरबीआई के 25वें गवर्नर हैं। वह इस साल दिसंबर में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद सर बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गवर्नर बन जाएंगे।
RBI के सफर में प्रमुख घटनाक्रम
First Published – April 1, 2024 | 7:06 AM IST