स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग के फायदे,- Strength training ke fayde


स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग में ऐसी एक्सरसाइज को शामिल किया जाता है, जिनसे मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इन एक्सरसाइज़ का नियमित अभ्यास बोन डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर का लचीलापन बना रहता है।

बढ़ती उम्र व्यक्ति के शरीर में कई बदलाव लेकर आती है। खासकर महिलाओं के शरीर में बदलाव देखने को मिलते हैं। 40 की उम्र के बाद महिलाओं के पीरियड्स साइकिल भी बदल जाता है। इस वजह से उनका मेटाबॉलिज्म भी काफी स्लो होना शुरू हो जाता है और त्वचा का रंग भी फीका पड़ जाता है। वहीं, कुछ महिलाएं शरीर दर्द से परेशान रहने लगती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, 40 की उम्र के बाद हड्डियां और मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में अगर किसी को फ्रैक्चर होता है, तो हड्डी जुड़ने में ज्यादा समय लग सकता है। इसलिए 40 की उम्र के बाद एक्सपर्ट्स महिलाओं को स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग (Strength Training) करने की सलाह देते हैं।

जानते हैं महिलाओं में क्यों और कैसे जरूरी है स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग? तो चलिए आज इस लेख में फिटनेस एक्सपर्ट और योग विशेषज्ञ अमित कुमार शर्मा आपको बता रहे हैं कि स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपकी हड्डियों को किस तरह फायदा पहुंचा सकती है-

जानें क्या है स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग (Strength Training in Hindi)

स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग (Strength Training) में कुछ ऐसी एक्सरसाइज को शामिल किया जाता है, जिनसे मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इन एक्सरसाइज को करने से हड्डियों और मसल्स को मजबूत और ऊर्जावान बनाने में मदद मिलती है। इनमें पुल-अप, पुश-अप्स, बेंच प्रेस और डंबल उठाने जैसी एक्सरसाइज शामिल है।

Strength training ke fayde
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से वेटलॉस करने के अलावा मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद मिलती है।

महिलाओं के लिए 40 की उम्र के बाद स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग क्यों जरूरी है (Strength Training benefits for women after 40)

1. बॉडी मास बैलेंस रहता है

40 की उम्र के बाद महिलाओं की बॉडी में मसल्स मास कम होने लगता है। इसके कारण हड्डियां कमजोर होने लगती है और स्ट्रेन्थ कम होने लगती है। इसलिए देखा जाता है 40 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए वजन उठाना मुश्किल हो जाता है।

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2. मेटाबॉलिज्म सही रहता है

एक उम्र के बाद शरीर में मसल्स मास और स्ट्रेन्थ कम हो जाती है, जिसकी वजह से महिलाओं का मेटाबॉलिज्म भी धीमी तरीके से काम करने लगता है। लेकिन अगर रोजाना स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग कि जाए को इससे मसल्स लीन मास मेंटेन रहता है। इससे बॉडी रेस्ट मोड पर होने के बावजूद भी कैलोरी बर्न करता है और वेट मेंटेन रखने में मदद मिलती है।

3. हड्डियां मजबूत बनी रहती है

इसे करने से महिलाओं की हड्डियों को मजबूती (Strong Bone) मिलती है। महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर भी कम होने लगता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की संभावना भी कम हो जाती है। स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग जोड़ों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। इससे शरीर में मोबिलिटी बनी रहती है और चोट लगने का खतरा भी कम हो जाता है।

स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग जोड़ों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। इससे शरीर में मोबिलिटी बनी रहती है

4. मूड अच्छा रहता है

फिजिकल हेल्थ के साथ इमोशनल हेल्थ के लिए भी स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करना महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होता है। मसल्स पर प्रेशर बढ़ने से बॉडी में एंडोर्फिन हार्मोन प्रड्यूज होता है। यह हार्मोन तनाव को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।

5 . जॉइंट कार्टिलेज रहता है हेल्दी

ये जॉइंट कार्टिलेज को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। दरअसल, जॉइंट कार्टिलेज से आपकी मसल्स अधिक मजबूत बनती है। जब आपकी मसल्स मज़बूत होती हैं, तो वे आपके जॉइंटस को सहारा देती हैं और उन्हें प्रोटेक्ट करती हैं। स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपके जॉइंटस पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालती है, लेकिन फिर भी यह कार्टिलेज को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

नोट: इन फायदों के लिए महिलाओं को 40 की उम्र के बाद स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग जरूर करनी चाहिए। लेकिन ध्यान रखें अपनी क्षमता से ज्यादा वजन उठाना भी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए हमेशा एक्सपर्ट की देखरेख में ही स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करें।



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