विश्व दुग्ध दिवस पर हर वर्ष 1 जून को दुनियाभर में विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर आईडीए प्रमुख डा. आरएस सोढ़ी ने देश के पशुपालकों को बधाई दी। जब संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने विश्व दुग्ध दिवस की स्थापना की थी तो इस मौके पर आईडीए के प्रमुख डा. आरएस ने 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस पर देश के पशुपालकों को बधाई दी और साथ ही उन्होंने कहा कि आज के समय में कोई विश्व दुग्ध दिवस की बधाई का पात्र है, तो वह भारत के लगभग 8 करोड़ पशुपालक हैं। 50 साल पहले मिल्क डेफिसिट कंट्री थी उसे नंबर एक पर लाकर खड़ा किया और आज के समय में दूध भारत के 14 लाख करोड़ की सबसे बड़ी फसल हो गई है।
दस गुना बढ़ा दूध का उत्पादन
विश्वभर में दूध का बहुत अधिक महत्व है। आईडीए के प्रमुख डा. आरएस ने कहा कि पिछले 50 सालों में भारत की जनसंख्या करीब ढाई गुना बढ़ी है और देश में दूध का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ा है। उन्होंने ने कहा कि केवल प्रोडक्शन में ही नहीं बल्कि खपत में भी होती है। दूध के प्रोडक्ट का योगदान करीब 20 फीसदी तक होता है। यह उपलब्धि देश के किसानों को बिना किसी सब्सिडी, एमएसपी और बिना किसी योजना के मिली है। उन्होंने कहा कि इस देश के पशुपालक पूरे विश्व में पहले स्थान पर हैं।
पशुपालन से आय का स्त्रोत
देश के किसान और पशुपालकों को आय कमाने का सुनहरा अवसर है। इससे पशुपालकों को 70 से 80 प्रतिशत सूखा मुनाफा होता है जो सीधा उनकी जेब में जाता है। आईडीए के प्रमुख डा. आरएस ने बताया कि पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही बल्कि शहरों में भी एक अच्छा आय प्राप्त कर सकते हैं। यदि देखा जाये तो आने वाले 25 में किसी उद्योग व इंडस्ट्री की ग्रोध होगी तो वह डयरी उद्योग है। भारत के पशुपालकों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह कैसे दूध के प्रोडक्शन की कीमत प्रति लीटर कम करें। इसस आने वाली पीढ़ी को आय का एक अच्छा स्त्रोत दे सकते हैं।