ब्लूम वेंचर्स आमतौर पर किसी स्टार्टअप में 20 से 25 लाख डॉलर का निवेश करता है। लेकिन पिछले महीने इसने एडटेक स्टार्टअप ‘इंटरव्यू किकस्टार्ट’ में सीधे 1 करोड़ डॉलर का निवेश किया। यह उसका सबसे बड़ा पहला चेक है। इंटरव्यू किकस्टार्ट को साल 2014 में शुरु किया गया है। यह कंपनी अभी तक अपने फाउंडर्स के पैसे से चल रही थी और मुनाफे में भी है। इसका मतलब है कि जब ब्लूम ने इस कंपनी में निवेश करने का फैसला किया तबतक इसमें काफी निवेशक दिलचस्पी दिखा चुके होंगे।
ब्लूम वेंचर्स के को-फाउंडर और पार्टनर कार्तिक रेड्डी ने बताया कि वेंचर फर्मों के लिए, अब सस्ते डील पाने या तेजी से आगे बढ़ने के लिए कंपनी के स्वामित्व का खरीदने का मसला नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, “अब, हमारे जैसे फंड थोड़ा इंतजार करने, मार्केट की चाल देखने और फिर बाद में थोड़े महंगे भाव पर ही निवेश को बेहतर समझ रहे हैं। हम इंतजार कर सकते हैं और इसके बाद भी कंपनी में मनाचाही हिस्सेदारी खरीद सकते हैं क्योंकि हमारे पास निवेश के लिए एक बड़ा फंड है।”
रेड्डी ने कहा, “अब हमें ओनरशिप के लिए 50 लाख डॉलर के वैल्यूएशन पर 7.5 लाख डॉलर का निवेश करने में जल्दबाजी नहीं है। इसकी जगह अब हम 1 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर 15 लाख, 1.5 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर 25 लाख डॉलर भी लगाने के लिए भी तैयार है। इससे भी हमें कंपनी में उतनी ही हिस्सेदारी मिलेगा।”
उन्होंने कहा, “ऐसा अब हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारे फंड का साइज अब बढ़कर 25 करोड़ डॉलर से ज्यादा हो गया है। जह हम 10 करोड़ डॉलर के फंड थे, तब हम इस रणनीति को नहीं अपना सकते थे।”
यह सिर्फ ब्लूम वेंचर्स की ही कहानी नहीं है। ऐसे अर्ली-स्टेज निवेशकों की संख्या अब तेजी से बढ़ती जा रही है, जो अब पहले के मुकाबले कम, लेकिन बड़े साइज के चेक काट कर रहे हैं।
माइक्रो-VC की मौजूदगी से भी बदली रणनीति
माइक्रो-वीसी फंड, ‘ऑल इन कैपिटल’ के फाउंडर, कुशल भागिया ने बताया, “एक वेंचर कैपिटल फर्म का शुरुआती चेक साइज, आमतौर पर उसके फंड के साइज के अनुपात में होता है। जितना बड़ा फंड, उतना ही बड़ा चेक।” अब चूंकि अधिकतर अर्ली-स्टेज निवेशक, बड़े राउंड में भाग लेना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में स्टार्टअर्स को शुरुआती फंड दिलाने के लिए बाजार में माइक्रो-वीसी (Micro-VC) की एंट्री हुई है।
माइक्रो-वीसी ऐसे फंड होते हैं, जो आमतौर पर छोटे चेक लिखते हैं। औसतन इनका चेक 10 लाख डॉलर से कम होता है। उनके फंड का साइज भी आमतौर पर 5 करोड़ डॉलर से कम ही होता है। वे निवेश के लिए सीड राउंड में भाग लेते हैं, जहां निवेशकों का एक समूह छोटी मात्रा में पैसा लगाता है। इस तरह के फंड राउंड का साइज 15 से 20 लाख डॉलर तक पहुंच जाता है।
फैमिली ऑफिसों और एंजल निवेशकों की बढ़ती संख्या के साथ माइक्रो-वीसी ने मिलकर अर्ली-स्टेड फंड्स को अपनी इनवेस्टमेंट रणनीति में बदलाव करने की सुविधा दी है। भागिया ने कहा कि बड़े फंड्स ने यह महसूस किया है कि किसी कंपनी में छोटे चेक लगाकर जोखिम लेने से आसाना है, कि बड़े राउंड में 1 करोड़ का चेक लगाकर इंतजार किया जाए।
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