क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल के मुताबिक पिछले कुछ महीनों के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कुछ कंपनियों पर की गई नियामकीय सख्ती से 2024-25 में भारत में ऋण वृद्धि में कमी आ सकती है। एजेंसी ने कहा है कि नियामक कार्रवाई से कुल मिलाकर व्यवस्था में कामकाज को लेकर विश्वसनीयता बढ़ेगी।
S&P ग्लोबल में क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुघ ने कहा, ‘भारतीय नियामक ने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन बढ़े नियामक जोखिम से वृद्धि पर असर पड़ सकता है और इससे वित्तीय संस्थानों की पूंजी की लागत बढ़ सकती है।’
अपनी हाल की टिप्पणी में एजेंसी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि ऋण में वृद्धि की दर 2024-25 में घटकर 14 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023-24 में 16 प्रतिशत थी। यह इन सभी कार्रवाइयों के असर को दिखाता है।’इसमें कहा गया है, ‘कड़े नियम प्रभावित इकाइयों में व्यवधान डाल सकते हैं और फिनटेक व विनियमन के दायरे में आने वाली अन्य इकाइयों को सावधानी बरतने को मजबूर कर सकते हैं।
साथ ही असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड पर जोखिम अधिभार बढ़ाने के रिजर्व बैंक के फैसले का मकसद वृद्धि को कम करना है।’
First Published – March 26, 2024 | 11:22 PM IST