इन दिनों वित्त-तकनीक (फिनटेक) क्षेत्र तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में एक से एक नवाचार हो रहे हैं और वित्तीय सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में यह अहम भूमिका निभा रहा है। मगर हाल में पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई की सख्ती से इस क्षेत्र में हलचल मच गई है। मगर सबसे पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि फिनटेक क्षेत्र है क्या?
वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) के अनुसार ‘फिनटेक वित्तीय सेवा खंड में तकनीक आधारित नवाचार है। यह नवाचार नए कारोबारी ढांचे, ऐप्लिकेशन, प्रक्रिया या उत्पादों को जन्म दे सकता है। ये प्रक्रिया या उत्पाद वित्तीय सेवाओं के प्रावधानों पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।’ स्विटजरलैंड के बेसल में स्थित एफएसबी एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर निगरानी रखने के साथ समय-समय पर नए सुझाव देता रहता है।
ट्रांसअटलांटिक केबल (1886) और फेडवायर (1918) ने अमेरिका में वित्त-तकनीक क्षेत्र के प्रथम चरण की शुरुआत की। इन दोनों ने टेलीग्राफ और मोर्स कोड जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रकम अंतरण की शुरुआत की। दूसरा चरण तब शुरू हुआ जब बार्कलेज ने 1967 में एटीएम की स्थापना की।
कुछ वर्षों के बाद 1970 के दशक में सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरनेट फाइनैंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) ने एक देश से दूसरे देश के बीच बड़े स्तर पर रकम अंतरण को बढ़ावा देना शुरू किया। स्विफ्ट वित्तीय संस्थानों के बीच संवाद संधि या समझौता है।
बैंकिंग जगत के पटल पर डिजिटल बैंकिंग 1990 के दशक में आया। 1998 तक अमेरिका की बहु-राष्ट्रीय वित्तीय तकनीक कंपनी पेपाल ने दुनिया में नई भुगतान प्रणाली का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इस तरह दुनिया ने ऑनलाइन प्रणाली की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। यह सिलसिला लगभग एक दशक तक चलता रहा मगर फिर अमेरिका में निवेश बैंक लीमन ब्रदर्स होल्डिंग्स इंक के धराशायी होने के बाद फिनटेक की राह बदल गई।
2009 में ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर बिटकॉइन और दूसरी आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) का चलन शुरू हुआ। इस बीच, स्मार्टफोन और स्टार्टअप इकाइयों की धमक बढ़ने से फिनटेक क्षेत्र में उत्पाद एवं सेवाएं नए सिरे से परिभाषित होने लगे। उन्होंने तथाकथित नव-बैंक या डिजिटल बैंक तैयार करने में मदद की और ग्राहकों का अनुभव बदल दिया। चीन और भारत इस क्रांति के अगुआ रहे हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार 2016 से 2023 के बीच सात वर्षों की अवधि के दौरान भारत में स्टार्टअप इकाइयों की संख्या लगभग 300 से बढ़कर कम से कम 1,17,000 हो गई।
इन इकाइयों ने 12.3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए। भारत में 10,224 फिनटेक कंपनियां हैं जो विभिन्न क्षेत्रों एवं खंडों में काम कर रही हैं। इस तरह, भारत फिनटेक तंत्र के विकास के लिहाज से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। यह उद्योग 14 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि दर से विकास कर रहा है।
ये सभी नवाचार सुरक्षित रूप में ग्राहकों के अनुभव में बदलाव ला रहे हैं। वर्तमान में ब्लॉकचेन और ओपन बैंकिंग से इतर मशीन लर्निंग बैंकिंग और बीमा दोनों को दोबारा परिभाषित करने जा रही है। एकीकृत भुगतान प्रदाताओं के माध्यम से जिस तरह रकम संग्रह की जा रही है फिनटेक उसमें बदलाव ला रहा है।
मगर क्या फिनटेक क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए नियम-कायदे नहीं होने चाहिए? हाल में पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मामले ने पूरे फिनटेक क्षेत्र को सकते में डाल दिया है। आरबीआई के कदम के बाद फिनटेक क्षेत्र की कुछ अग्रणी इकाइयों के संस्थापकों की प्रतिक्रियाएं भी चौंकाने वाली रही हैं।
एक भारतीय बहु-राष्ट्रीय फिनटेक कंपनी के संस्थापक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ आरबीआई की ‘दंडात्मक’ कार्रवाई से नाखुश हैं। उनके अनुसार आरबीआई के कदम से यह संदेश जा रहा है कि ‘बैंक तो महत्त्वपूर्ण हैं मगर फिनटेक के महत्त्व को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस 41 वर्षीय संस्थापक ने कहा, ‘आरबीआई में जो लोग कायदे तय कर रहे हैं उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष या इससे अधिक है। उनके पास बैंकों के तंत्र को संभालने का अनुभव है।
मगर ऐसा लगता है कि किसी सधे 40 वर्ष के व्यक्ति, खासकर जो एक स्वतंत्र सोच रखता है, पर आरबीआई में बैठे इन लोगों को विश्वास नहीं है। इस समय जिस पेमेंट्स बैंक को लेकर बवाल खड़ा हुआ है उसके संस्थापक की उम्र 45 वर्ष है। फिनटेक क्षेत्र के इन युवा उद्यमियों को अपने विचार व्यक्त करने और 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों के काम-काज के तरीकों पर टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है।
उन्हें नई पीढ़ी के लोगों द्वारा किए जा रहे नवाचारों की सराहना करने का भी पूरा हक है। मगर फिनटेक इकाइयां कितनी ही बड़ी हों और उनका कितना ही भारी भरकम योगदान क्यों न हो मगर वे रकम के प्रवाह को नियंत्रित करने वाले नियम-कायदों से ऊपर नहीं हो सकतीं। मगर इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सवालों के घेरे में खड़े पेमेंट्स बैंक का नवाचारों से क्या लेना-देना है? सवालों के घेरे में खड़े पेमेंट्स बैंक के प्रवर्तक फिनटेक में हैं, न कि उस बैंक में जिसे केवाईसी (नो योर कस्टमर) सहित अन्य अनियमितताओं के लिए दंडित किया गया है।
इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि फिनटेक क्षेत्र में नवाचार एवं नए प्रयोग तो होते रहेंगे। मगर यह भी सच है कि फिनटेक क्षेत्र में 40 साल के किसी व्यक्ति को केंद्रीय बैंक में बुजुर्ग मगर अनुभवी व्यक्तियों द्वारा तय किए जाने वाले नियमों को चुनौती देने की आजादी कभी नहीं होगी। यहां संदेश बिल्कुल स्पष्ट है। अगर कोई 40 साल का उद्यमी अपनी महत्त्वाकांक्षा और तेजी से कारोबार बढ़ाने के लोभ से ग्रसित रहता है तो बुजुर्ग केंद्रीय बैंकरों के लिए ऐसे उद्यमियों को रास्ते पर लाना अनिवार्य हो जाता है।
एक बुजुर्ग बैंकर ने उस फिनटेक कंपनी का बहीखाता साफ सुथरा रखने में अहम भूमिका निभाई है जिसके संस्थापक केंद्रीय बैंकरों की उम्र से असहज महसूस करते हैं। इस पेमेंट्स बैंक के प्रवर्तक ने हाल में ही 70 वर्ष की उम्र पार एक व्यक्ति को नियुक्त किया है जिनका काम संचालन एवं मूल कंपनी से जुड़े नियामकीय मुद्दों को सुलझाना है। वह केंद्रीय बैंक के अधिकारी नहीं मगर एक दूसरे नियामक संस्थान में काम किया करते थे।
First Published – March 11, 2024 | 11:14 PM IST