एक बच्चे के जन्म के साथ ही दुनिया में पेरेंट्स का जन्म होता है। अस्पताल में जब नर्स जन्म के बाद मां के हाथों में बच्चे को सौंपती है, तो पेरेंट्स की खुशी का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है। बच्चे जन्म के तुरंत बाद बोलने तो नहीं लगते हैं यह बात हम सभी जानते हैं। ऐसे में न्यू पेरेंट्स का फर्ज बनता है कि वह बच्चे के रोने की आवाज से उसकी जरूरी और परेशानी को समझ लें। मुझे आज भी याद है जब मैंने बेटे को जन्म दिया था, तब वह बहुत ज्यादा रोता था। रात को जब मैं गहरी नींद में होती थी, तब वो अचानक चिल्लाता था। कई बार वह खेलते-खेलते रोने लगता था। शुरुआत में मैं समझ नहीं पाती थी कि आखिरकार ऐसा हो क्यों रहा है। जब बच्चे का पेट भरा हुआ है तब वो क्यों रहा है, लेकिन वक्त के साथ मैंने सभी चीजों को परखा व जाना। और आज मैं आपके साथ अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए छोटे बच्चों के रोने की पीछे वजह क्या है यह बताने जा रही हूं। ताकि जो परेशानी मुझको हुई वो न्यू पेरेंट्स को न हो।
1. भूख लगने के वजह से
जब शिशु का जन्म होता है तो उसका पेट काफी छोटा होता है और उसे बार-बार भूख लगती हैं। अगर आपका बच्चा बार-बार रो रहा है तो इसका मतलब यह है कि वह भूखा हो। नई माएं शिशु के पेट के आकार को देखकर भी बच्चा भूख है या नहीं इसका अंदाजा लगा सकती हैं। दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ रीता सिंह का कहना है कि जन्म के बाद से 2 महीने तक शिशु को हर 2 से 3 घंटे पर दूध पिलाने की जरूरत होती है।
2. डकार दिलाने के लिए
डॉक्टर का कहना है कि जिन शिशुओं को पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है और उनके पेट भर रहा है और इसके बावजूद वह रोते हैं, तो इसका मतलब ये है कि उन्हें डकार दिलाने की जरूरत है। दरअसल, दूध पिलाने के तुरंत बाद शिशुओं को डकार दिलाना जरूरी होता है। अगर न्यू पेरेंट्स शिशु को डकार नहीं दिलाते हैं तो इससे कई परेशानियां हो सकती हैं।
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3. पाचन संबंधी परेशानियां
जन्म के बाद बच्चा कई घंटों तक सोता है। जिसकी वजह से उसकी फिजिकल एक्टिविटी काफी कम होती है। ऐसे में शिशु के पेट में गैस बनने लगती है। ज्यादा गैस बनने की वजह से भी शिशु रोता है। छोटे बच्चों को पेट में बनने वाली गैस से कैसे छुटकारा दिलाया जा सकता है, इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
4. मां के लिए
जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां चाहिए होती है। मां के स्पर्श को महसूस न करने की वजह से भी बच्चा परेशान होता है और रोने लगता है।
5. ज्यादा गर्मी या ठंड लगने की वजह से
भारतीय घरों में अक्सर बड़े-बुजुर्ग छोटे बच्चों को मोटे-मोटे कपड़ों में लपेट कर रखते हैं। गर्मी के मौसम में अगर बच्चे को ज्यादा मोटे कपड़ों में लपेटकर रखा जाए, तो इससे उन्हें ज्यादा गर्मी लग सकती है और वह चिड़चिड़े होकर रोने लगते हैं।
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इनके अलावा बच्चे डायपर बदलने, बीमार होने, वैक्सीन लगने पर और किसी भी तरह की शारीरिक परेशानी होने पर भी रोने लगते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि न्यू पेरेंट्स को बच्चे के एक्सप्रेशन के आधार पर रोने की वजह तय करनी होती है और यह हर बच्चे में अलग हो सकता है।
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