अनियमित लाइफस्टाइल और खराब डाइट का असर हमारी सेहत पर पड़ता है। डायबिटीज के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। कुछ लोगों को अनुवांशिक रूप से डायबिटीज की समस्या होती है। आयुर्वेद में, डायबिटीज को “प्रमेह” बताया गया है, जो अनहेल्दी जीवनशैली, तनाव और खाने की खराब आदतों के कारण शरीर की ऊर्जा (दोष) में असंतुलन की वजह से होती है। इसे टाइप 1 और टाइप 2 में बाटा जाता है। प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में डायबिटीज को केवल अग्न्याशय (पैंक्रियाज) ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली स्थिति के रूप में देखा जाता है। डायबिटीज के आयुर्वेदिक इलाज में व्यक्ति की जीवनशैली में सुधार के साथ ही उसके खान-पान की आदत में भी बदलाव किया जाता है। साथ ही, औषधियों और थेरेपी से भी व्यक्ति का इलाज किया जाता है। ओनली माय हेल्थ में लोगों को रोगों के आयुर्वेदिक इलाज को बताया जाता है। इसके लिए हमने आरोग्य विद आयुर्वेद सीरीज शुरु की है। इस सीरीज में आयुर्वेद के डॉक्टरों से बात कर रोगों के इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। मुरैना के सरकारी अस्पताल में कार्यरत आयुर्वेदिक डॉक्टर सोनल गर्ग से जानत हैं कि डायबिटीज का इलाज कैसे किया जाता है।
कितने प्रकार की होती है डायबिटीज
डायबिटीज के आयुर्वेदिक इलाज को समझने से पहले आपको डायबिटीज के प्रकार के बारे में बता रहे हैं। आगे जानते हैं इस बारे में।
- टाइप 1: टाइप 1 डायबिटीज ऑटोइम्यून स्थिति है, इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली पैंक्रियाज कोशिकाओं को लक्षित करती है। साथ ही, उन्हें डैमेज करती है। इस प्रकार के लोगों को इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।
- टाइप 2 डायबिटीज: डायबिटीज के 90 प्रतिशत मामले इसी प्रकार के होते हैं। जब शरीर में पर्याप्त इंसुलिन बनने की क्रिया प्रभावित होती है तो ऐसे में व्यक्ति के ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।
- गर्भकालीन मधुमेह: कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी में डायबिटीज की समस्या हो सकती है। इसे ही गर्भकालीन डायबिटीज कहा जाता है। हालांकि, यह बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है।
शरीर में वात, कफ और पित्त दोष के कारण डायबिटीज की समस्या हो सकती है। यह दोष पैंक्रियाज के कार्य को प्रभावित करते हैं, जिसकी वजह से इंसुलिन बनने की प्रक्रिया में बाधा आती है और रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। वैसे, आयुर्वेद में इसे जीवनशैली, आहार, और स्ट्रेस से संबंधित माना जाता है।
डायबिटीज का पंचकर्म से इलाज – Panchakarma Therapy in Diabetes Treatment In Hindi
आयुर्वेद में डायबिटीज के इलाज में पंचकर्म थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। यह शरीर के आंतरिक बदलावों को दूर करती है। साथ ही, डायबिटीज को लक्षणों को कम करने में मदद करती है। आगे जानते हैं कि इस दौरान कौन सी थेरेपी की जा सकती है।
वमन
इस थेरेपी में व्यक्ती को वमन (उल्टी) कराई जाती है। यह थेरेपी व्यक्ति के कफ दोष को शांत करती है। यह ऊपरी श्वसन और पाचन तंत्र से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करती है। वमन पाचन में सुधार, शरीर का वजन कम करने और ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
विरेचन
डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार में विरेचन एक महत्वपूर्ण थेरेपी है, जो मुख्य रूप से पित्त दोष को कम करती है। जिन व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक गर्मी और सूजन से संबंधित डायबिटीज होती है, उनमें यह थेरेपी फायदेमंद होती है। यह लिवर और आंतों को साफ करने, बेहतर पाचन और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करती है।
बस्ती
बस्ती, या औषधीय एनीमा, वात दोष को संतुलित करने और डायबिटीज के लक्षणों को दूर करने में फायदेमंद हो सकता है। इसमें निचली आंत को साफ करने और शरीर को पोषण देने के लिए हर्बल तेल और काढ़े का उपयोग किया जाता है। बस्ती उपचार मल त्याग को नियंत्रित करने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
पंचकर्म एक व्यापक आयुर्वेदिक उपचार है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को मैनेज करने में सहायक होता है।
डायबिटीज के मरीजों में किए जाने वाले बदलाव – Diet Changes In Diabetic Patient In Hindi
- संतुलित आहार का सेवन: प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट के बजाय जौ, जई और ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज का सेवन करने की सलाह दी जाती है। आवश्यक पोषक तत्व और फाइबर के लिए डाइट में ताजे फल, सब्जियां, मेवे और बीज शामिल किए जाते हैं।
- चीनी का सेवन न करें: डायबिटीज में व्यक्ति को चीनी न खाने की सलाह दी जाती है। इसकी जगह व्यक्ति गुड़ व खांड का सेवन कर सकते हैं।
- हर्बल चाय और काढ़ा: दालचीनी, मेथी के बीज और तुलसी से बनी हर्बल चाय या काढ़ा पीने से रक्त शर्करा के स्तर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
- प्रोसेस्ड फूड से बचें: प्रोसेस्ड फूड और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि वे ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं और इंसुलिन को बाधित कर सकते हैं।
- लौकी और करेले का सेवन करें: इस दौरान व्यक्ति को लौकी, करेले, परमल आदि का सेवन करने के लिए सलाह दी जाती है।
इसे भी पढ़ें : आयुर्वेद में गठिया का इलाज कैसे किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें
जीवनशैली में बदलाव कर आप डायबिटीज की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज के साथ ही मरीज को कुछ विशेष तरह के योगासन व मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। हम अपनी सीरीज आरोग्य विद आयुर्वेद में अगले सप्ताह नई जानकारी लेकर आएंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।