अमेरिकी अभियोजकों ने Solar Energy रिश्वत मामले में Gautam Adani और अन्य पर लगाए गंभीर आरोप


अमेरिका से आई एक खबर के कारण भारतीय शेयर बाजार भी चरमरा गया है। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के जिला न्यायालय में पांच-अनुसूची आपराधिक अभियोग खोला गया है। अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी सहित प्रमुख भारतीय अधिकारियों को कथित रिश्वत और धोखाधड़ी योजना में जोड़ने का आरोप लगाया गया है। रॉयटर्स ने अमेरिकी अभियोजकों का हवाला देते हुए बताया है।
 
न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी की मानें तो “गौतम अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन पर सिर्कोरिटीज और वायर धोखाधड़ी, प्रतिभूति धोखाधड़ी करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इस मामले में संघीय अदालत में पांच-अनुसूची आपराधिक अभियोग खोला गया। इस अभियोग में कहा गया है कि अडाणी ने झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से धन प्राप्त करने की बहु-अरब डॉलर की योजना में अहम भूमिका निभाई थी।”
 
जानकारी के अनुसार अभियोग में रंजीत गुप्ता और रूपेश अग्रवाल एक अक्षय ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारी, जिनकी प्रतिभूतियों का कारोबार न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में हुआ था। सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा, जो एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के पूर्व कर्मचारी थे। इस सभी पर रिश्वतखोरी योजना के संबंध में विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश का आरोप लगा है।
 
संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी ब्रियोन पीस का इस मामले पर कहना है कि ने कहा इन लोगों ने अरबों डॉलर के अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई थी। गौतम एस. अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन ने रिश्वतखोरी योजना को लेकर झूठ भी कहा है। इस झूठ के पीछे मंशा थी कि वो अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से पूंजी जुटाना चाहते थे।” ब्रियोन पीस ने आगे आरोप लगाया कि मामले में नामित लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों की अखंडता को कमजोर किया तथा अमेरिकी और वैश्विक निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है।
 
“व्यापारिक अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए आकर्षक अनुबंधों को वित्तपोषित करने के लिए भारत सरकार को रिश्वत दी गई है। एफबीआई के सहायक निदेशक प्रभारी जेम्स डेन्ही ने कहा, “अपने व्यापार को लाभ पहुंचाने के लिए व्यापारिक अधिकारियों ने आकर्षक अनुबंधों को फंड करने के लिए कथित तौर पर भारत सरकार को रिश्वत दी। अडानी और अन्य प्रतिवादियों ने रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के बारे में झूठे बयानों के आधार पर पूंजी जुटाकर निवेशकों को धोखा दिया, जबकि अन्य प्रतिवादियों ने कथित तौर पर सरकारी जांच में बाधा डालकर रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाने का प्रयास किया।”
 
अभियोग में कार्यपालक पर एफबीआई, न्याय विभाग (डीओजे) और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) की जांच में बाधा डालने का भी आरोप लगाया गया है। अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय का कहना है कि अभियोग में लगाए गए आरोप आरोप हैं और जब तक कि उन पर दोष सिद्ध न हो जाए, तब तक प्रतिवादियों को निर्दोष माना जाएगा। यह जांच एफबीआई न्यूयॉर्क की कॉर्पोरेट, प्रतिभूति और कमोडिटी धोखाधड़ी और अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार इकाइयों द्वारा की गई थी। सरकार का मामला न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के व्यापार और प्रतिभूति धोखाधड़ी अनुभाग तथा आपराधिक प्रभाग के धोखाधड़ी अनुभाग द्वारा संभाला जा रहा है। गौतम अडानी के कार्यालय या अभियोग में नामित अन्य लोगों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।



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